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हरिद्वार के संतों की मांग-हिंदू संदर्भों से उर्दू शब्द हटाएं:शाही-पेशवाई जैसे शब्द मुगल सल्तनत की याद दिलाते हैं

हरिद्वार के संत समाज ने गुरुवार (5 सितंबर) को हिंदू धार्मिक संदर्भों से उर्दू शब्दों को हिंदी और संस्कृत के शब्दों से बदलने की मांग रखी। संतों ने कहा- शाही और पेश्वाई जैसे उर्दू शब्द मुगल सल्तनत की याद दिलाते हैं।

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कुंभ में होने वाले स्नान को भी शाही स्नान कहा जाता है। यह शब्द भारतीय संस्कृति की परंपरा में नहीं है। जल्द ही अलग-अलग अखाड़ों से मीटिंग की जाएगी, जिसमें इन शब्दों को हटाने के प्रस्ताव पर जोर दिया जाएगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने कहा- यह प्रस्ताव उन सभी शहरों के प्रशासन को भेजा जाएगा जहां कुंभ मेला या इसी तरह के धार्मिक आयोजन होते हैं।

प्रयागराज में पूर्ण कुम्भ मेला 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा। वहीं, उज्जैन में कुम्भ 2028 में होना है। कुम्भ के स्नान से शाही शब्द हटाने की शुरुआत प्रयागराज से कर सकते हैं। के  मोहन यादव ने 2 सितंबर को उज्जैन में भगवान महाकाल की सवारी का जिक्र करते हुए ‘शाही सवारी’ की जगह ‘राजसी सवारी’ शब्द का इस्तेमाल किया था। इसी के बाद मध्य प्रदेश के संतों ने शाही शब्द पर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद देश के अन्य संत भी उर्दू शब्दों के इस्तेमाल को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं।अपराध पर लगाम लगे या नहीं, लेकिन मप्र पुलिस ने इसका नया शब्दकोश जरूर गढ़ दिया है। पुलिस की लिखा-पढ़ी और बोलचाल की भाषा में उर्दू, फारसी और अन्य भाषाओं के 69 शब्दों का इस्तेमाल अब बंद कर इनकी जगह हिंदी का उपयोग होगा। यह कवायद सवा दो साल से चल रही है

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