Bharat रूस से तेल आयात कम करने को तैयार है, लेकिन इसके लिए उसने अमेरिका के सामने एक अहम शर्त रखी है। दरअसल, रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा रखा है, जो दोनों देशों के रिश्तों में सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने साफ कहा है कि अगर उसे रूसी तेल का आयात घटाना होगा, तो अमेरिका को ईरान और वेनेजुएला से तेल खरीदने की अनुमति देनी चाहिए। दोनों देश बड़े ऑयल सप्लायर हैं, लेकिन फिलहाल अमेरिका की पाबंदियों के चलते भारत उनसे खरीदारी नहीं क सत्रों के अनुसार, हाल ही में अमेरिका दौरे पर गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ मीटिंग में यह मुद्दा दोहराया। भारत का तर्क है कि अगर वह रूस, ईरान और वेनेजुएला तीनों से तेल आयात बंद कर देता है, तो इससे दुनिया भर में तेल की कीमतों (Global Oil Prices) में तेज़ बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि इस पर अभी तक भारत के वाणिज्य मंत्रालय, तेल मंत्रालय और अमेरिकी दूतावास ने कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
रूस से तेल आयात और भारत-अमेरिका संबंध
रूस अब भी भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है, हालांकि हाल के महीनों में आयात की मात्रा घट गई है। अमेरिका के टैरिफ के बावजूद भारत ने रूसी तेल खरीदना जारी रखा क्योंकि इससे आयात बिल कम हुआ। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी हाल ही में कहा था कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए अमेरिका से तेल और गैस की खरीद बढ़ाना चाहता है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने अपने तेल पर भारी डिस्काउंट दिया, जिससे भारत को फायदा मिला। इसी तरह ईरान और वेनेजुएला का तेल भी सस्ता साबित हो सकता है। हालांकि भारत ने 2019 में ईरान से आयात रोक दिया था और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वेनेजुएला से तेल लेना भी बंद कर दिया था।
अमेरिकी और मिडिल ईस्ट तेल की किमतें
भारतीय कंपनियां मिडिल ईस्ट से भी तेल खरीद सकती हैं, लेकिन इससे आयात बिल और बढ़ जाएगा। उदाहरण के तौर पर जुलाई में भारत ने रूसी तेल के लिए औसतन 68.90 डॉलर प्रति बैरल चुकाए, जबकि सऊदी तेल 77.50 डॉलर और अमेरिकी तेल 74.20 डॉलर प्रति बैरल पड़ा। फिलहाल भारत, रूसी टैंकर से आने वाले तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, जबकि ओवरऑल चीन दुनिया का सबसे बड़ा ग्राहक है।