अंबाला शहर। जब दर्द हो इतने सीने में तो क्या रखा है ऐसे जीने में…जाने क्यों लोग जीने नहीं दिया करते हैं। हम मोहब्बतें बहुत वो नफरतें किया करते हैं। जाने क्यों लोग जीने ही नहीं दिया करते हैं। शहर के एक शिक्षण संस्थान में कर्मी ने विजिटिंग रजिस्टर के साथ हाजिरी रजिस्टर में कुछ इसी तरह की बातों का जिक्र किया है।
संस्थान के औचक निरीक्षण के दौरान जब प्रिंसिपल की नजर इन दोनों रजिस्टर पर पड़ी तो उन्होंने कर्मी को बुलाया और जवाब मांगा तो कर्मी ने न केवल प्रिंसिपल बल्कि अपने वरिष्ठ कर्मचारियों के साथ भी कदाचार किया।
लिहाजा प्रिंसिपल ने कर्मी को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन से खफा कर्मी ने प्रिंसिपल और अपने अन्य वरिष्ठ साथियों पर प्रताड़ित करने के आरोप लगाते हुए आत्महत्या की चेतावनी दे डाली। मामला यहीं नहीं थमा। प्रिंसिपल ने इसपर भी तुरंत कार्रवाई करते हुए आत्महत्या करने की धमकी देने पर कर्मी के खिलाफ एसपी को शिकायत दे दी। हालांकि समाचार लिखे जाने तक इस मामले में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
कद्र करे न करे मैं तो जरूर करूंगा… जिंदगी मेरी मुझे बेवफा सी लगती है, जिंदा रहना भी अब तक एक सजा सी लगती है। शिक्षण संस्थान का कर्मी विजिटिंग रजिस्टर में लिखता है कि कल सुबह अपने रेस्ट में सुबह 5 बजे निकल जाना है। बहुत से जरूरी डेरा ब्यास जी के लिए 14 सितंबर 2024 व 15 सितंबर 2024 को सीपीसी अवकाश पर रहना है। मैंने तो अवकाश प्रार्थना पत्र दिया है मैं बार-बार प्रार्थना पत्र किस लिए दूं। कोई अपनी छुट्टी में कहीं भी जाए।