दिल्ली में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। काबुल से एक 13 साल का लड़का विमान के पिछले टायर के पास छिपकर दिल्ली पहुंच गया। यह बच्चा उत्तरी अफगानिस्तान का रहने वाला है। विमान के दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरने के बाद वह रनवे पर घूमता हुआ मिला, जिसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया।
देश में आए दिन कोई न कोई चौंकाने वाली खबर सामने आती रहती है। इन्हीं खबरों में से एक खबर ने सभी का ध्यान खींचा। यह खबर है उस 13 साल के लड़के की, जिसने काबुल में प्लेन के पिछले टायर के पास बैठकर दिल्ली सुरक्षित पहुंचा। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर बच्चा कैसे उस छोटी सी जगह में बैठकर आ गया और हवाई जहाज के टायर के बगल में स्पेस क्यों होता है।
सहसे पहले समझिए मामला क्या है?
अफगानिस्तान के 13 साल के एक लड़के ने हवाई जहाज के पिछले टायर के पास बने स्पेस में बैठकर खतरनाक तरीके से काबुल से दिल्ली तक का सफर किया। अधिकारियों के अनुसार, उत्तरी अफगानिस्तान के कुंदुज शहर का रहने वाला यह किशोर सोमवार को विमान के दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद रनवे पर भटकता हुआ पाया गया। उसे भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में लिया और कई घंटों तक पूछताछ के बाद उसी विमान से काबुल वापस भेज दिया गया।
बच्चा विमान तक पहुंचा कैसे?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे ने बताया कि काबुल हवाईअड्डे पर वह यात्रियों के पीछे-पीछे गाड़ी चलाते हुए रनवे तक पहुंच गया। उसी वक्त उसने सबकी नजरों से छिपकर विमान में चढ़ा और उड़ान से ठीक पहले व्हील वेल में जाकर छिप गया।
इस तरह सफर करना बेहद खतरनाक होता है। जान बचने की संभावना मात्र 20 फीसदी होती है। चूंकि सफर छोटा था, इसलिए वह बच गया।
हवाई जहाज के टायर के बगल में क्यों होता है स्पेस?
दरअसल, टायर के ऊपर बने इस हिस्से को लैंडिंग गियर का हिस्सा माना जाता है। प्लेन के टेक-ऑफ करने के दो मिनट बाद ये टायर लैंडिंग गियर के अंदर चले जाते हैं और लैंडिंग के समय फिर बाहर आ जाते हैं।
लैंडिंग गियर के इस स्पेस में केवल टायर के फिट होने की जगह होती है। बच्चा टेक-ऑफ से पहले इसी जगह में छिप गया था। टेक-ऑफ के बाद जब पहिए अंदर आते हैं, तो कुचल जाने का खतरा होता है। हालांकि, बच्चे का भार और आकार कम होने के कारण वह बच गया।
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कई देशों में लोग ऐसी रिस्क लेते हैं, लेकिन बचने की संभावना कम होती है
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में अमेरिका और यूरोप जाने वाली उड़ानों में भी लोग इसी तरह छिपकर अपने देश से भागने की कोशिश करते हैं। लेकिन उनमें से बहुत कम ही जिंदा बच पाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी उड़ानों में बच निकलने वाले कई यात्री अक्सर उतरते समय बेहोश हो जाते हैं, जिससे लैंडिंग गियर नीचे होने पर उनकी मौत का खतरा बना रहता है।
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