बिना वजह थकान
लगातार थकान, जो अक्सर एड्रेनल डिसफंक्शन से संबंधित होती है, विषाक्त अधिभार का संकेत दे सकती है। ऑटोइम्यूनिटी, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है, ऊतकों में जमा विषाक्त पदार्थों द्वारा ट्रिगर हो सकती है।
खाने की क्रेविंग्स
खाने की बहुत ज्यादा क्रेविंग्स, खासकर प्रोसेस्ड फूड्स की क्रेविंग, टॉक्सिन्स बनने के कारण होने वाले हार्मोनल असंतुलन का संकेत देती है। साथ ही सांसों की बदबू और शरीर की दुर्गंध भी शरीर में बढ़े हुए टॉक्सिन लेवल का संकेत हो सकता है।
डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं
पेट फूलना यानी ब्लोटिंग, गैस और कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याएं, डाइट में सुधार की जरूरत का संकेत देती हैं। नींद की समस्याएं, जो अक्सर कोर्टिसोल असंतुलन से संबंधित होती हैं, हार्मोनल सिस्टम को प्रभावित करने वाले टॉक्सिन्स का संकेत दे सकती हैं।
सिरदर्द की समस्या
बार-बार होने वाला सिरदर्द ब्रेन में हाई टॉक्सिन लेवल का संकेत दे सकता है। विशेष रूप से एस्पार्टेम और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) जैसे पदार्थों की वजह से ऐसा हो सकता है।
एक्ने की समस्या
आमतौर पर शरीर में गंदगी होने की वजह से स्किन से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। त्वचा पर एक्ने भी आमतौर पर तभी होते हैं, जब लिवर टॉक्सिन्स से भर जाता है, जिससे स्किन को इसे शरीर से बाहर निकालने के लिए मदद करनी पड़ती है।
बॉडी डिटॉक्स क्या है?
डिटॉक्सिफिकेनश शरीर से टॉक्सिन्स मॉलिक्यूल्स को बदलने और निकालने का एक प्रोसेस है। शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स यानी प्वाइजन या प्रदूषक, ऐसे पदार्थ हैं, जो सेहत को निगेटिव तरीके से प्रभावित करते हैं। इसलिए शरीर पहले से ही इन टॉक्सिन्स को लिवर, किडनी, पाचन तंत्र और त्वचा के जरिए अपने आप खत्म कर देता है।
कैसे करें फुल बॉडी डिटॉक्स?
बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए आप कई सारे तरीके अपना सकते हैं। फुल बॉडी डिटॉक्स करने के लिए आप नीचे दिए गए टिप्स को फॉलो कर सकते हैं-
- एक खास डाइट फॉलो करें
- फास्टिंग करें
- ज्यादा पानी या जूस पिएं
- सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल करें
- कोलोनिक इरिगेशन, एनीमा या लैक्सेटिव का इस्तेमाल करें
- सौना का इस्तेमाल करें
- अपने आसपास के टॉक्सिन्स के संपर्क को कम करें