खून हमारे शरीर का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है। यह हमारे शरीर के हर कोने में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है। जाहिर है, खून के बिना हमारा शरीर काम ही नहीं कर सकता है। आपने देखा होगा कि जब हम बीमार होते हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले Blood Test करने के लिए बोलते हैं। दरअसल, इस टेस्ट से डॉक्टर को यह पता चल पाता है कि हमारे शरीर में क्या समस्या है। ब्लड टेस्ट से ही डॉक्टर यह भी पता लगा सकते हैं कि हमारे शरीर में कौन-सा तत्व कम या ज्यादा है।
जब किसी व्यक्ति को खून की कमी हो जाती है, तो डॉक्टर उसे खून चढ़ाते हैं, लेकिन, यह बहुत जरूरी है कि व्यक्ति को उसी तरह का खून चढ़ाया जाए जो उसके शरीर में पहले से है। ब्लड के अलग-अलग ग्रुप होते हैं जैसे A, B, AB और O. अगर किसी व्यक्ति को गलत ग्रुप का खून चढ़ा दिया जाता है, तो उसके शरीर में कई गंभीर समस्याएं हो सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
हमारा खून कई तरह की कोशिकाओं और एक तरल पदार्थ से मिलकर बना होता है। इस तरल पदार्थ को प्लाज्मा कहते हैं। खून में सबसे ज्यादा रेड ब्लड सेल्स होते हैं। इन सेल्स की सतह पर कुछ खास तरह के पदार्थ होते हैं, जिन्हें एंटीजन कहते हैं। ये एंटीजन ही बताते हैं कि किसी व्यक्ति का खून किस तरह का है यानी उसका ब्लड ग्रुप क्या है। रेड ब्लड सेल्स की सतह पर दो तरह के मेन एंटीजन होते हैं –
A और B. अगर किसी व्यक्ति के रेड ब्लड सेल्स में सिर्फ A एंटीजन है, तो उसका ब्लड ग्रुप A होगा। अगर सिर्फ B एंटीजन है, तो ब्लड ग्रुप B होगा। अगर दोनों ही एंटीजन हैं, तो ब्लड ग्रुप AB होगा और अगर दोनों ही एंटीजन नहीं हैं, तो ब्लड ग्रुप O होगा।
जब किसी बीमार व्यक्ति को खून चढ़ाया जाता है, तो इस काम को बहुत ध्यान से किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लड टेस्ट करना और सही तरह का खून चुनना बहुत जरूरी होता है। अगर गलत तरह का खून चढ़ गया, तो बीमार व्यक्ति की जान भी जा सकती है। हमारे शरीर में कई तरह के खून होते हैं, जैसे A, B, AB और O. अगर किसी व्यक्ति को उसके ब्लड ग्रुप से अलग खून चढ़ा दिया जाए,
तो उसके शरीर में खून के साथ रिएक्शन हो सकता है और उसे बहुत नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, खून चढ़ाने से पहले डॉक्टर बहुत सावधानी से ब्लड टेस्ट करते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि कभी-कभी, सही खून चढ़ाने के बाद भी किसी व्यक्ति को एलर्जी हो सकती है। एलर्जी होने पर व्यक्ति को खुजली, सूजन या सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, लेकिन डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से इस सिचुएशन को कंट्रोल कर लेते हैं।
हमारे खून में रेड ब्लड सेल्स होते हैं, जिनकी सतह पर एंटीजन मौजूद होते हैं। एंटीजन कई तरह के होते हैं और इन्हीं एंटीजन के आधार पर ब्लड ग्रुप को तय किया जाता है। जब किसी व्यक्ति को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाया जाता है, तो शरीर उस खून में मौजूद एंटीजन को विदेशी मानता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। ये एंटीबॉडी खून के थक्के बनाने का कारण बनते हैं और ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन होता है।
ABO इनकैपेबिलिटी तब होती है जब किसी व्यक्ति को एक अलग ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति का खून चढ़ाया जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में मौजूद एंटीजन और एंटीबॉडी आपस में रिएक्ट करते हैं। यह रिएक्शन हल्के लक्षणों जैसे बुखार, ठंड लगना,
मतली और शरीर में दर्द से लेकर ज्यादा गंभीर, जैसे कि किडनी फेल होना, Disseminated Intravascular Coagulation, ब्रोंकोस्पास्म, सदमा और यहां तक कि मौत का भी खतरा बढ़ सकता है। सबसे खतरनाक सिचुएशन में, यह रिएक्शन रेड ब्लड सेल्स को डैमेज कर देता है, जिससे सीवियर हेमोलाइटिक प्रोसेस शुरू हो जाता है।
ब्लड देने और लेने वाले लोगों के लिए डॉक्टरों की सावधानी बहुत जरूरी है। उन्हें यह देखना होता है कि दोनों का खून आपस में मिलेगा या नहीं। इस काम को ‘क्रॉस-मैचिंग’ कहते हैं। मान लीजिए, हमें पानी और दूध को मिलाना है। जिस तरह ये दोनों अलग-अलग होते हैं, ठीक उसी तरह,
हर इंसान का खून अलग-अलग होता है। अगर हम गलती से अलग-अलग तरह का खून मिला दें, तो बहुत बड़ी परेशानी हो सकती है। इसलिए, डॉक्टरों को बहुत ध्यान से यह काम करना होता है। अगर डॉक्टर इस काम में जरा सी भी गलती कर दें, तो मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए, क्रॉस-मैचिंग बहुत जरूरी है और इसे बहुत ध्यान से करना चाहिए।