नई दिल्ली। इसरो ने होली से पहले 140 करोड़ भारतीयों को सफलता और गर्व का उत्सव मनाने का एक और अवसर दिया। भारत ने उपग्रहों की डी-डॉकिंग में भी ऐतिहासिक सफलता सफलता प्राप्त की है। उपग्रहों को डाक कराने में जनवरी में ही सफलता मिल चुकी है। अंतरिक्ष में उपग्रहों को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया को डॉकिंग और अलग करने की प्रक्रिया को डी-डॉकिंग कहते हैं। इसी के साथ स्पैडेक्स मिशन पूरा हो गया है।
अंतरिक्ष में देश के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को अपने बलबूते हासिल करने के लिए डॉकिंग और डी-डॉकिंग क्षमता बेहद जरूरी है। इस सफलता के साथ चंद्रमा पर मानव अभियान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएसएस) का बनाने का रास्ता खुल गया है। यह सफलता तेजी से बढ़ते 400 अरब डॉलर के वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की भारत की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में भी मददगार होगी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक पोस्ट में उपग्रहों की सफल डी-डॉकिंग की घोषणा की।
बेहद महत्वपूर्ण है यह मिशन
- भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए महत्वपूर्ण तकनीक
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन में भी होंगे आत्मनिर्भर
- किसी मिशन में एक से अधिक रॉकेट लांच करने पर भी होगी इस तकनीक की जरूरत
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पोस्ट किया, स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा किया है। इसरो टीम को बधाई। यह हर भारतीय के लिए खुशी की बात है। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन का मार्ग प्रशस्त होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निरंतर संरक्षण से उत्साह बढ़ता रहता है।