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Friday, September 26, 2025

अग्नि-5 व MIRV: भारत की बढ़ती परमाणु ताकत — चीन कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है?

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भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी रक्षा क्षमताओं को जिस तेजी से आधुनिक बनाया है, उसमें सबसे बड़ा नाम है अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल। यह मिसाइल न केवल भारत की परमाणु ताकत का प्रतीक है, बल्कि चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए एक बड़ा संदेश भी है। अगस्त 2025 में भारत ने ओडिशा से इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया और यह टेस्ट सिर्फ तकनीकी उपलब्धि ही नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम माना गया।

MIRV तकनीक से भारत की शक्ति कई गुना बढ़ी

भारत ने 2024 में MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicle) वैरिएंट का भी परीक्षण किया था। इस तकनीक का मतलब है कि एक ही मिसाइल दुश्मन के कई ठिकानों पर एक साथ हमला कर सकती है। यानी भारत एक अग्नि-5 दागकर दुश्मन के शहरों और सैन्य अड्डों पर एक ही बार में कहर बरपा सकता है।
यह क्षमता चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। चीन के पास पहले से ही DF-5 और DF-41 जैसी मिसाइलें हैं, लेकिन MIRV तकनीक के साथ भारत ने दोनों के बीच का तकनीकी अंतर काफी हद तक कम कर दिया है।

भारत-चीन-पाकिस्तान: परमाणु त्रिकोण का संतुलन

एशिया के तीन बड़े परमाणु संपन्न देश — भारत, चीन और पाकिस्तान — के पास ऐसी मिसाइलें हैं, जो पूरी दुनिया को तबाह करने की क्षमता रखती हैं।

  • भारत और चीन: दोनों देशों के पास जमीनी (land-based), हवाई (air-based) और समुद्री (sea-based) तीनों रास्तों से परमाणु हमला करने की क्षमता है।

  • पाकिस्तान: उसके पास समुद्र से हमला करने की ताकत नहीं है, इसलिए वह सिर्फ जमीन और हवा पर निर्भर है।

यही कारण है कि पाकिस्तान की तुलना में भारत और चीन कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं।

अग्नि-5 क्यों है चीन के लिए खतरे की घंटी?

भारत के पास अभी लगभग 180 परमाणु वॉरहेड हैं, जबकि चीन के पास यह संख्या 600 के करीब है (SIPRI रिपोर्ट)। ऐसे में भारत के लिए MIRV तकनीक बेहद जरूरी हो जाती है, ताकि कम वॉरहेड के बावजूद ज्यादा नुकसान पहुंचाने की क्षमता बनी रहे।
भारत भविष्य में अग्नि-5 का एक और एडवांस वैरिएंट तैयार कर रहा है, जिसकी रेंज करीब 7500 किलोमीटर तक होगी। यह चीन को और भी असहज कर सकता है, क्योंकि इसका मतलब है कि भारत बीजिंग से भी आगे के इलाकों तक पहुंच सकेगा।

मोदी-युग में अग्नि-5 का संदेश

अग्नि-5 का हालिया परीक्षण उस वक्त किया गया था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक में शामिल होने चीन जाने वाले थे। इसे विशेषज्ञों ने एक स्पष्ट संकेत माना कि भारत डिप्लोमेसी के साथ-साथ सैन्य ताकत दिखाने में भी पीछे नहीं है।

अमेरिका और एशिया टाइम्स की रिपोर्ट्स क्या कहती हैं?

  • अमेरिकी रक्षा विभाग ने 2024 की रिपोर्ट में कहा कि चीन 2030 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या 1,000 तक पहुंचा सकता है।

  • एशिया टाइम्स के डिफेंस एनालिस्ट्स का मानना है कि MIRV तकनीक भारत के परमाणु शस्त्रागार में सबसे बड़ा बदलाव है। हालांकि इसमें रेंज थोड़ी घट सकती है, लेकिन भारत के लिए यह रणनीतिक रूप से फायदेमंद है।

  • पाकिस्तान के लिए यह तकनीक और भी डरावनी है, क्योंकि उसके पास न तो चीन जैसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम है और न ही MIRV क्षमता का पुख्ता सबूत।

भारत की आगे की तैयारी क्या होनी चाहिए?

डिफेंस एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत को चीन को टक्कर देने के लिए:

  1. परमाणु वॉरहेड की संख्या बढ़ाकर 250 तक ले जाने पर विचार करना चाहिए।

  2. पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों (SSBNs) और परमाणु त्रिकोण को और मजबूत करना चाहिए।

  3. SLBM (Submarine-Launched Ballistic Missile) और अग्नि के नए वैरिएंट्स पर निवेश बढ़ाना चाहिए।

हालांकि यह रणनीति एशिया में तनाव भी बढ़ा सकती है, लेकिन इससे भारत की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

चीन भारत की ताकत को कैसे देखता है?

बीजिंग अभी भारत को सीधा खतरा नहीं मानता, बल्कि “जटिल चुनौती” के तौर पर देखता है। Asia Society की रिपोर्ट (2024) के मुताबिक चीन और भारत दोनों अभी NFU (No First Use) नीति पर टिके हुए हैं। यानी कोई भी पहले परमाणु हमला नहीं करेगा।
फिर भी, अग्नि-5 और MIRV तकनीक ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में भारत की मिसाइल और पनडुब्बी परियोजनाएं यह तय करेंगी कि वह चीन को कितनी प्रभावी चुनौती दे सकता है।

निष्कर्ष: एशिया में नया परमाणु संतुलन

अग्नि-5 और MIRV तकनीक ने भारत को एक नई ऊंचाई दी है। यह सिर्फ सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि रणनीतिक संतुलन का भी प्रतीक है। भारत ने यह साफ संदेश दिया है कि वह सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है, बल्कि चीन जैसी महाशक्ति का भी सीधा मुकाबला करने के लिए तैयार है।
आने वाले वर्षों में भारत की परमाणु रणनीति एशिया के भू-राजनीतिक समीकरण को नया आकार देगी। और यही वजह है कि अग्नि-5 को एशिया में गेम चेंजर माना जा रहा है।

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