छत्तीसगढ़ को भारत का “धान का कटोरा” कहा जाता है और 2025 तक राज्य में धान उत्पादन ने नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। राज्य सरकार और कृषि विभाग की नीतियों के साथ-साथ किसानों द्वारा अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकें, उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ रही है बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।
नई कृषि तकनीकें और स्मार्ट खेती
धान उत्पादन में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण नई कृषि तकनीक और स्मार्ट खेती के तरीकों का इस्तेमाल है। अब किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, जल-संरक्षण तकनीक, ड्रिप इरीगेशन और ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से अधिक पैदावार प्राप्त हो रही है। कृषि विभाग ने प्रशिक्षण शिविर और डिजिटल एप्लिकेशन के जरिए किसानों को सही समय पर बीज बोने, फसल की देखभाल और कीट नियंत्रण जैसी जानकारी दी है।
लाभकारी योजनाएँ और आर्थिक सुरक्षा
सरकार ने धान उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई लाभकारी योजनाएँ लागू की हैं। “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan)”, “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA)” और “छत्तीसगढ़ राज्य फसल बीमा योजना” के तहत किसानों को सीधे लाभ पहुंच रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी से किसान अपनी फसल बेचने में आर्थिक सुरक्षा महसूस कर रहे हैं।
भंडारण और लॉजिस्टिक्स सुधार
तकनीकी बदलावों के साथ संवर्धित भंडारण और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क ने धान उत्पादन और वितरण को आसान बना दिया है। किसान अब अपने उत्पाद को समय पर मंडियों में बेच सकते हैं और फसल खराब होने का जोखिम कम हो गया है। डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स ने किसानों को सीधे खरीदारों तक पहुँचने का अवसर भी प्रदान किया है।
आर्थिक और ग्रामीण विकास पर असर
इन सभी प्रयासों से छत्तीसगढ़ में धान उत्पादन न केवल बढ़ा है बल्कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार के नए अवसर भी बने हैं। तकनीकी सुधार और सरकारी योजनाओं के विस्तार से छत्तीसगढ़ की कृषि क्षेत्र आने वाले वर्षों में और मजबूत और टिकाऊ बनने की दिशा में अग्रसर है।