तालिबान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है। Ovaisi ने कहा कि उन्होंने 2016 में ही केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि तालिबान के साथ किसी भी तरह का संपर्क भारत की विदेश नीति के लिए जोखिम भरा कदम हो सकता है। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
Ovaisi ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
Ovaisi ने कहा कि भारत को उन शक्तियों से दूरी बनानी चाहिए जो अफगानिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के खिलाफ काम कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान शासन के दौरान महिलाओं की स्थिति और नागरिक स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठे हैं, इसलिए भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को ऐसे शासन के साथ राजनयिक संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
भारत-तालिबान संबंधों पर उठे सवाल
तालिबान के विदेश मंत्री की यात्रा को लेकर राजनीतिक हलकों में कई सवाल उठ रहे हैं। यह भारत की ओर से अफगानिस्तान के साथ व्यावहारिक संवाद की पहल मानी जा रही है, लेकिन कुछ राजनीतिक दलों का कहना है कि यह कदम भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित कर सकता है।विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अफगानिस्तान में मानवीय और आर्थिक सहायता पर ध्यान देना चाहिए,राजनयिक संबंधों को नहीं बढ़ाना चाहिए।
सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह यात्रा “अनौपचारिक कूटनीतिक वार्ता” का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान में स्थिरता और मानवीय सहायता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था। हालांकि, इस पर केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।ओवैसी का बयान तालिबान के साथ भारत की कूटनीतिक रणनीति पर नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर सकता है। जहां एक ओर सरकार इस संबंध को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक मानती है, वहीं विपक्ष का तर्क है कि तालिबान के साथ किसी भी तरह का सहयोग भारत के मूल्यों और मानवाधिकार नीति के विपरीत है।