29.1 C
Raipur
Tuesday, October 14, 2025

महिला सुरक्षा पर राष्ट्रीय महिला आयोग सख्त — न्याय में देरी पर जताई चिंता, तेज़ ट्रायल और सख्त निगरानी की मांग

Must read

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने हाल ही में देशभर में बढ़ते महिला अपराधों और सुरक्षा में कमियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। आयोग ने कहा है कि कई मामलों में पुलिस जांच में ढिलाई और न्यायिक प्रक्रिया की धीमी रफ्तार के कारण पीड़िताओं को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। इसलिए, आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों से तेज़ ट्रायल सिस्टम और सख्त निगरानी तंत्र लागू करने की सिफारिश की है।

सुरक्षा व्यवस्था में कई कमियाँ उजागर

NCW की हालिया समीक्षा रिपोर्ट में कई राज्यों में महिला सुरक्षा ढांचे की कमजोरियों का उल्लेख किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार—

कई जिलों में महिला हेल्पलाइन (181) की सेवाएँ प्रभावी ढंग से नहीं चल रही हैं। कुछ राज्यों में फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स की संख्या कम है, जिससे मामलों में देरी हो रही है पुलिस थानों में महिला अधिकारियों की कमी और संवेदनशीलता प्रशिक्षण का अभाव भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। आयोग ने कहा कि अगर ये कमियाँ दूर नहीं की गईं, तो “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों का प्रभाव सीमित रह जाएगा।

तेज़ ट्रायल और सख्त एक्शन की ज़रूरत

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बयान जारी कर कहा, “महिला सुरक्षा को लेकर सरकारों के स्तर पर प्रयास तो हो रहे हैं, लेकिन न्याय में देरी और पुलिस की सुस्ती चिंता का विषय है। हमें एक ऐसी व्यवस्था चाहिए जहाँ हर केस को तय समयसीमा में निपटाया जाए।” उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक राज्य में स्पेशल महिला ट्रायल कोर्ट्स गठित की जाएं और महिला अपराधों की जांच 60 दिनों में पूरी की जाए।

सरकारों को दिए गए सुझाव

NCW ने केंद्र और राज्यों को कई सुझाव भेजे हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

सभी जिलों में महिला सुरक्षा ऑडिट हर छह महीने में कराया जाए। पुलिस रिफ्रेशर ट्रेनिंग में जेंडर सेंसिटाइजेशन को अनिवार्य किया जाए। फास्ट ट्रैक कोर्ट्स में जजों और स्टाफ की कमी तुरंत पूरी की जाए। महिलाओं के लिए रात के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुरक्षा मानक कड़े किए जाएं।

डेटा से सामने आया सच

NCW के अनुसार, पिछले वर्ष देश में महिला उत्पीड़न के 50,000 से अधिक केस दर्ज किए गए। इनमें से लगभग 35% मामलों में जांच लंबित है और कई मामलों में चार्जशीट दाखिल होने में 6 महीने से अधिक समय लगा। रिपोर्ट में कहा गया कि न्याय प्रक्रिया की सुस्ती पीड़िताओं का भरोसा कमजोर करती है।

जनता की प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों की राय

महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने आयोग की सिफारिशों का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यदि सरकारें इन सिफारिशों को गंभीरता से लागू करती हैं, तो महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली में सुधार संभव है। साथ ही, टेक्नोलॉजी-आधारित सुरक्षा उपायों जैसे GPS ट्रैकिंग, मोबाइल SOS सिस्टम और CCTV मॉनिटरिंग को भी बढ़ावा देने की मांग की गई है। राष्ट्रीय महिला आयोग का यह कदम देश में महिला सुरक्षा और न्याय प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल है। अब यह देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें इन सिफारिशों पर कितनी तेजी से कार्रवाई करती हैं, ताकि हर महिला को समय पर न्याय और सुरक्षा मिल सके।

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article