छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सल प्रभावित इलाकों में वर्षों से जारी हिंसा और आतंक के बीच आज एक नई शुरुआत हुई। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की “पुनर्वास और मुख्यधारा में वापसी” नीति के तहत, 170 से अधिक माओवादी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में लौट आए। राज्य पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों में कई सक्रिय माओवादी कमांडर, महिला कैडर और स्थानीय समर्थक शामिल हैं। इन माओवादियों ने सुरक्षा बलों के सामने अपने हथियार, विस्फोटक सामग्री और यूनिफॉर्म सौंपे। इस कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे।
पुलिस का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आर्थिक सहायता, पुनर्वास पैकेज और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा, उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में भी मदद दी जाएगी ताकि वे एक सामान्य जीवन जी सकें।
विकास की ओर नया कदम:
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण न सिर्फ सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि नक्सलवाद का प्रभाव अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। बस्तर क्षेत्र में सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्य — जैसे सड़क निर्माण, शिक्षा केंद्र, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार योजनाएं — अब ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रही हैं, जिससे लोग नक्सली विचारधारा से दूर हो रहे हैं।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया: बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने कहा,
“यह आत्मसमर्पण नक्सल समस्या के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम है। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी माओवादी मुख्यधारा में लौटेंगे और क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित होगी।”








