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Sunday, October 26, 2025

भारत की पश्चिमी सीमा पर शुरू होगा विशाल ट्राई-सर्विस अभ्यास ‘Trishul’ — तीनों सेनाओं की ताकत का संयुक्त प्रदर्शन, बढ़ेगी सीमा सुरक्षा क्षमता

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भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए एक बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास की तैयारी में जुट गया है। देश की पश्चिमी सीमा पर ‘Trishul’ नामक त्रि-सेवा (Tri-Service) सैन्य अभ्यास का आयोजन 30 अक्टूबर से 10 नवंबर 2025 तक किया जाएगा। इस दौरान भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना एक साथ मिलकर युद्ध जैसी परिस्थितियों में संयुक्त ऑपरेशन का अभ्यास करेंगी। यह अभ्यास भारत की सैन्य नीति और रणनीतिक तैयारियों का एक बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।

अभ्यास ‘Trishul’ का उद्देश्य

‘Trishul’ सैन्य अभ्यास का प्रमुख उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और सहयोग को बढ़ाना है। आधुनिक युद्ध केवल ज़मीन पर नहीं, बल्कि हवा और समुद्र में भी लड़े जाते हैं, इसलिए तीनों सेनाओं का तालमेल बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस अभ्यास के दौरान कमांड, कंट्रोल और कम्युनिकेशन सिस्टम की मजबूती का परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा, अभ्यास में हाई-टेक ड्रोन, सैटेलाइट सर्विलांस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित डिफेंस सिस्टम, साइबर सिक्योरिटी ऑपरेशन और मिसाइल इंटरसेप्शन सिस्टम जैसे तकनीकी पक्षों को भी परखा जाएगा। उद्देश्य यह है कि भारत किसी भी परिस्थिति में त्वरित और सटीक प्रतिक्रिया दे सके।

आधुनिक तकनीक का प्रयोग

‘Trishul’ अभ्यास में इस बार कई अत्याधुनिक उपकरण और तकनीकें इस्तेमाल की जाएंगी। इसमें राफेल और सुखोई-30 फाइटर जेट्स, एडवांस्ड हेरॉन ड्रोन, और भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों का उपयोग होगा। थलसेना की मैकेनाइज्ड यूनिट्स और मिसाइल रेजिमेंट्स भी शामिल होंगी। इसके साथ ही, स्पेस-बेस्ड सर्विलांस और सैटेलाइट नेटवर्क का उपयोग कर दुश्मन के मूवमेंट और संचार प्रणाली को ट्रैक किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब तीनों सेनाएं एक ही नेटवर्क-आधारित प्लेटफ़ॉर्म पर संयुक्त रूप से ऑपरेशन करेंगी।

सीमा सुरक्षा को लेकर नई रणनीति

भारत की पश्चिमी सीमा (जो पाकिस्तान से लगती है) पर लगातार सुरक्षा चुनौतियाँ बनी रहती हैं। इस क्षेत्र में ड्रोन गतिविधियाँ, सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी गतिविधियाँ जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए यह अभ्यास बेहद अहम माना जा रहा है। ‘Trishul’ अभ्यास के ज़रिए सेना न केवल अपनी युद्धक क्षमता का प्रदर्शन करेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तीनों सेनाएं एक साथ और तुरंत कार्रवाई करने में सक्षम हों। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस अभ्यास से भारत की जॉइंट ऑपरेशनल डिफेंस स्ट्रेटेजी को नई दिशा मिलेगी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण संकेत

‘Trishul’ केवल भारत की सीमाओं की सुरक्षा से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक सशक्त संदेश है। यह दर्शाता है कि भारत अपने रक्षा ढांचे को मजबूत करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कई देशों के रक्षा विश्लेषक इस अभ्यास पर नज़र रखे हुए हैं, क्योंकि यह दक्षिण एशिया में भारत की सामरिक तैयारी और नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करता है। इससे भारत का वैश्विक रक्षा साझेदारी में स्थान और मजबूत होगा।

अभ्यास का असर

‘Trishul’ अभ्यास भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा। इससे तीनों सेनाओं की सहयोग, संचार और रणनीतिक योजना में सुधार आएगा। इसके अलावा, यह अभ्यास देश की रक्षा नीति, तकनीकी आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) के विज़न को भी आगे बढ़ाएगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस अभ्यास के अनुभवों का उपयोग भविष्य के प्रशिक्षण और वास्तविक परिस्थितियों में सामरिक निर्णय लेने में किया जाएगा। इससे भारतीय सेना की युद्ध तत्परता (combat readiness) और ऑपरेशनल एफिशिएंसी में अभूतपूर्व सुधार की उम्मीद है।

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