छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि 1956 से पहले मृत पिता की संपत्ति पर बेटियों का अधिकार नहीं होगा। यह निर्णय मिताक्षरा कानून के तहत लिया गया है, जो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के लागू होने से पहले लागू था।
मिताक्षरा कानून और बेटियों का अधिकार
मिताक्षरा कानून के तहत, जो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के लागू होने से पहले लागू था, बेटियों को पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं था। इस कानून के तहत, केवल पुत्रों को ही पिता की संपत्ति पर अधिकार प्राप्त था।
हाईकोर्ट का निर्णय
इस मामले में, भाई और बहन दोनों ने अपने पिता की संपत्ति पर दावा किया था। चूंकि पिता की मृत्यु 60 साल पहले यानी 1956 से पहले हुई थी, कोर्ट ने फैसला पुत्र के पक्ष में दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मिताक्षरा विधि में बेटियों को ऐसा अधिकार नहीं था।
1956 के बाद का परिप्रेक्ष्य
1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत बेटियों को भी पिता की संपत्ति पर समान अधिकार दिया गया। इस संशोधन के बाद, बेटियों को भी पिता की संपत्ति पर अधिकार प्राप्त हुआ, चाहे पिता की मृत्यु 1956 के बाद हुई हो।








