आस्था और श्रद्धा का पर्व छठ पर्व भारत का एक ऐसा लोकपर्व है जो न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि इसमें प्रकृति, सूर्य, जल और मानव जीवन का सुंदर संगम देखने को मिलता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, जिसमें महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। संध्या अर्घ्य का दिन इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस वर्ष छठ पर्व 2025 में संध्या अर्घ्य 27 अक्टूबर (सोमवार) को अर्पित किया जाएगा।
संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त और समय
देश के प्रमुख शहरों में संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा —
- दिल्ली: शाम 5:39 बजे
- पटना: शाम 5:07 बजे
- वाराणसी: शाम 5:18 बजे
- रांची: शाम 5:12 बजे
- लखनऊ: शाम 5:25 बजे
- कोलकाता: शाम 5:09 बजे
- रायपुर: शाम 5:21 बजे
भक्त इस मुहूर्त में सूर्य देव को जल और दूध से अर्घ्य अर्पित करेंगे। इसके बाद अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य (सुबह का अर्घ्य) देकर व्रत का समापन किया जाएगा।
संध्या अर्घ्य की विधि और पारंपरिक पूजन सामग्री
छठ पर्व की पूजा में स्वच्छता और सादगी का विशेष महत्व है। व्रतधारी महिलाएं चार दिनों तक कठोर नियमों का पालन करती हैं। संध्या अर्घ्य के लिए घाट या तालाब पर पूजा की तैयारी इस प्रकार की जाती है —
- घाट की सफाई और सजावट: मिट्टी से बने घाटों को गोबर और रंगोली से सजाया जाता है।
- बांस की सूप और डलिया: इनमें फल, ठेकुआ, गुड़, नारियल और केला रखकर अर्पण किया जाता है।
- अर्घ्य सामग्री: दूध, जल, गंगाजल, फूल, दीपक, और कच्चा दूध सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
- छठी मैया के गीत: महिलाएं पारंपरिक गीत गाकर वातावरण को भक्तिमय बनाती हैं।
विभिन्न राज्यों में भव्य तैयारियाँ
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली-एनसीआर में घाटों की साफ-सफाई और सजावट का काम तेजी से चल रहा है। प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता के लिए विशेष व्यवस्था की है। पटना के गंगा घाट, रांची के कांके डैम, और दिल्ली के यमुना घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। इस बार कई जगहों पर “प्लास्टिक फ्री छठ” अभियान भी चलाया जा रहा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा सके।
आस्था और पर्यावरण का संगम
छठ पर्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन में अनुशासन, संयम और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है।हर वर्ष यह पर्व समाज में एकता, भक्ति और सामूहिकता की भावना को और गहराता है।








