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Friday, October 31, 2025

भारत की नई श्रम नीति 2025: युवाओं को विदेशों में रोजगार के अवसर देने के लिए सरकार ने पेश किया नया बिल — ‘ग्लोबल वर्कफोर्स मिशन’ से बदलेगी तस्वीर

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भारत सरकार ने एक नई श्रम नीति (Labour Export Policy 2025) के तहत ऐसा बिल पेश किया है, जो देश के युवाओं को विदेशों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। इस नीति का उद्देश्य भारत को केवल मजदूरी आधारित अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ाकर “श्रम निर्यात में अग्रणी देश” बनाना है।

‘ग्लोबल वर्कफोर्स मिशन’ की शुरुआत

नई नीति के तहत सरकार ने ‘ग्लोबल वर्कफोर्स मिशन’ लॉन्च किया है, जिसके माध्यम से युवाओं को कौशल प्रशिक्षण (Skill Training), भाषा ज्ञान, और अंतरराष्ट्रीय रोजगार मानकों के अनुसार तैयार किया जाएगा। श्रम मंत्रालय के अनुसार, “हमारा लक्ष्य आने वाले 5 वर्षों में 20 लाख से अधिक भारतीय युवाओं को विदेशी नौकरियों से जोड़ना है।”

विदेशों में बढ़ती मांग और भारत की भूमिका

खाड़ी देशों, यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया में कुशल श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की भारी मांग देखी जा रही है। भारत इस अवसर का लाभ उठाकर अपने युवाओं को विनियमित और सुरक्षित ढंग से विदेशों में भेजना चाहता है, ताकि रोजगार के साथ-साथ विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange) भी बढ़ाई जा सके।

कौशल विकास पर जोर

नीति में विशेष ध्यान दिया गया है —

कौशल प्रशिक्षण केंद्रों (Skill Centres) की स्थापना पर अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन कोर्सेस शुरू करने पर और सुरक्षित रोजगार अनुबंधों की निगरानी पर इसके तहत युवाओं को IT, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन, हॉस्पिटैलिटी, और ऑटोमेशन सेक्टर में प्रशिक्षित किया जाएगा।

सरकार का दृष्टिकोण

श्रम एवं रोजगार मंत्री ने कहा —

“भारत का उद्देश्य अब केवल रोजगार देना नहीं, बल्कि दुनिया भर में भारतीय कार्यबल की साख बढ़ाना है। हम गुणवत्तापूर्ण श्रम का निर्यात करेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे न केवल युवाओं की आय बढ़ेगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश और रेमिटेंस (Remittance) का प्रवाह भी तेज होगा।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझौते

भारत पहले ही UAE, सिंगापुर, जापान, और जर्मनी जैसे देशों के साथ लेबर मोबिलिटी समझौते (Labour Mobility Agreements) पर हस्ताक्षर कर चुका है। इन समझौतों के तहत भारतीय युवाओं को समान वेतन, बीमा, और सुरक्षा अधिकार दिए जाएंगे।

आर्थिक दृष्टिकोण से बड़ा कदम

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल भारत के वैश्विक श्रम बाजार (Global Labour Market) में स्थान को मजबूत करेगा। साथ ही, देश की बेरोजगारी दर घटाने और कौशल-आधारित अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद करेगा।

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