India-Russia के बीच व्यापारिक संबंध अब केवल कच्चे तेल तक सीमित नहीं हैं — सूरजमुखी तेल के आयात में भी भारत ने रूस पर भरोसा जताया है। पिछले चार सालों में रूस से भारत का सूरजमुखी तेल आयात 12 गुना बढ़ गया है। अब रूस, भारत का सबसे बड़ा सूरजमुखी तेल सप्लायर बन चुका है, जिसने यूक्रेन को पीछे छोड़ दिया है।
रूस से सूरजमुखी तेल आयात में जबरदस्त उछाल
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने कैलेंडर वर्ष 2024 में 2.09 मिलियन टन सूरजमुखी तेल रूस से आयात किया। यह साल 2021 के लगभग 1.75 लाख टन की तुलना में 12 गुना अधिक है। 2021 में भारत के कुल सूरजमुखी तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी मात्र 10% थी, जो अब बढ़कर 56% हो गई है। रूस से बढ़ते आयात का मुख्य कारण है उसकी स्थिर सप्लाई चेन और भारत के लिए आसान परिवहन मार्ग। यूक्रेन युद्ध के बाद जब यूक्रेन के बंदरगाह बाधित हुए, तब रूस भारत के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बन गया।
युद्ध के कारण यूक्रेन से घटा निर्यात
रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक तेल आपूर्ति प्रणाली को हिला कर रख दिया। युद्ध से पहले यूक्रेन भारत का सबसे बड़ा सूरजमुखी तेल सप्लायर था। लेकिन रूस द्वारा काला सागर (Black Sea) के बंदरगाहों को ब्लॉक करने के बाद यूक्रेन को अपना निर्यात यूरोप की ओर मोड़ना पड़ा। परिणामस्वरूप, भारत तक तेल पहुंचाने की लॉजिस्टिक लागत और परिवहन समय बढ़ गया। इस स्थिति ने रूस के लिए भारत के बाजार में जगह बनाने का मौका पैदा किया।
अमेरिका-रूस के बीच ‘तेल जंग’ का असर
अमेरिका और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ने रूस की दो बड़ी ऑयल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि यह असर भारत के कच्चे तेल आयात पर पड़ा, लेकिन रूस ने सूरजमुखी तेल व्यापार में नया रिकॉर्ड बना दिया। अमेरिका और पश्चिमी देशों के बैन के बावजूद रूस ने भारत के साथ ऊर्जा और खाद्य तेल क्षेत्र में मजबूत व्यापारिक रिश्ते बनाए रखे हैं।
भारत में सूरजमुखी तेल उत्पादन और मांग
भारत में सूरजमुखी तेल तीन प्रमुख खाने के तेलों में से एक है। इसके बावजूद, देश में कुल उपभोग का केवल 5% ही घरेलू उत्पादन से पूरा होता है। पतनजलि फूड्स के सीईओ और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा कि “रूस दुनिया में सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद स्रोत है। हमें वहां से स्थिर सप्लाई और गुणवत्ता का भरोसा मिलता है।” रूस और भारत के उद्योग प्रतिनिधियों ने हाल ही में एक-दूसरे के देशों का दौरा किया है ताकि सप्लाई चेन को और मजबूत किया जा सके।
भारत की आयात पर निर्भरता
भारत अपनी कुल खाने के तेल की जरूरत का लगभग 60% आयात से पूरा करता है। पाम ऑयल का हिस्सा करीब 50% है, सोयाबीन ऑयल दूसरा, और सूरजमुखी तेल तीसरे स्थान पर है। 1990 के दशक में जब सस्ते आयातित तेल भारत में आने लगे, तब भारतीय किसानों ने सूरजमुखी की खेती कम कर दी, जिससे देश में उत्पादन घट गया।
सूरजमुखी तेल के दाम और रुझान
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2023 और 2024 के दौरान सूरजमुखी तेल की कीमतों में गिरावट आई थी। पहली बार यह पाम ऑयल से भी सस्ता हो गया, जिसके चलते भारत ने इसका आयात तेजी से बढ़ा दिया। रूस की हिस्सेदारी में यह उछाल दिखाता है कि भारत की आयात नीति अब लचीलापन और स्थिरता दोनों पर ध्यान दे रही है।
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