भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते लंबे समय से मजबूत रहे हैं, लेकिन हाल ही में अमेरिकी टैरिफ नीति (Tariff Policy) के कारण भारतीय निर्यात को भारी झटका लगा है। मई से सितंबर 2025 के बीच भारत का अमेरिका को निर्यात 37.5% तक घट गया है। यह गिरावट पिछले पांच वर्षों में सबसे बड़ी मानी जा रही है।
ट्रंप प्रशासन की नई नीति का प्रभाव
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में फिर से लागू की गई “उच्च टैरिफ नीति” (High Tariff Policy) का असर भारत सहित कई देशों के व्यापार पर दिखाई दे रहा है। ट्रंप प्रशासन ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और विदेशी उत्पादों पर निर्भरता घटाने के लिए कई वस्तुओं पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है। इसका सीधा असर भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों — जैसे टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, फार्मा और इंजीनियरिंग गुड्स — पर पड़ा है।
भारत से किन क्षेत्रों में घटा निर्यात?
निर्यात में सबसे बड़ी गिरावट निम्नलिखित सेक्टरों में दर्ज की गई है:
- टेक्सटाइल और परिधान: 42% तक कमी
- ऑटो पार्ट्स और मशीनरी: 38% गिरावट
- फार्मास्युटिकल उत्पाद: 29% कमी
- स्टील और एल्यूमीनियम उत्पाद: 45% तक की गिरावट
इन क्षेत्रों में पहले से जारी वैश्विक मंदी ने भी असर डाला है, जिससे भारतीय कंपनियों की अमेरिकी मांग में भारी कमी आई है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया और संभावित समाधान
भारत सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं:
- निर्यातकों को राहत देने के लिए Export Credit Scheme को आसान बनाया गया है।
- अमेरिका से बातचीत के जरिए टैरिफ में राहत की कोशिश की जा रही है।
- यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे वैकल्पिक बाजारों में व्यापार विस्तार की योजना तैयार की जा रही है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत अपने निर्यातकों को नई नीतियों के तहत प्रोत्साहन देगा ताकि वे अमेरिकी निर्भरता घटाकर नए बाजारों में प्रवेश कर सकें।”
अर्थव्यवस्था पर असर और आगे की राह
निर्यात में गिरावट का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा सकता है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अल्पकालिक है।डिजिटल सेवाओं, फार्मा और टेक्नोलॉजी सेक्टर में भारत अभी भी मजबूत स्थिति में है, जिससे आने वाले महीनों में सुधार की उम्मीद की जा रही है।








