19.2 C
Raipur
Saturday, November 22, 2025

भारत में किडनी रोग की बढ़ती संख्या: हर 10 में से 1 व्यक्ति प्रभावित, जानिए पड़ोसी देशों की स्थिति

Must read

किडनी रोग का बोझ कितना बड़ा है, इसका कोई सटीक आंकड़ा अक्सर सामने नहीं आता, खासकर भारत जैसे देशों में जहां communicable diseases की चुनौतियां पहले से ही बनी हुई हैं. लेकिन वैश्विक अनुमान बताते हैं कि दुनिया भर में करीब 800 से 850 मिलियन लोग, यानी 80 करोड़ से 85 करोड़ की संख्या में लोग, किसी न किसी रूप में किडनी रोग से प्रभावित हैं. DailyRounds के अनुसार भारत में तस्वीर भी उतनी ही चिंताजनक है. यहां हर 10 में से 1 भारतीय किडनी की बीमारी से प्रभावित माना जाता है. इतना ही नहीं, लगभग 5 लाख लोगों को डायलिसिस जैसी गंभीर उपचार की जरूरत होती है. भारत में किडनी की बीमारी मौत का आठवां सबसे बड़ा कारण मानी जाती है. लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 13.8 करोड़ लोग क्रॉनिक किडनी डिजीज से जूझ रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं कि भारत के पडोसी देशों में कितने लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं.

शर्लिन चोपड़ा ने सर्जरी के बाद दिखाए अपने 825 ग्राम के ब्रेस्ट सिलिकॉन, नए लुक पर चौंके लोग- पूरा हुलिया बदल गया

क्या हाल है भारत के पड़ोसी देशों का

Shrestha et al., 2021 (Frontiers in Medicine) द्वारा किए गए एक सिस्टमेटिक रिव्यू और मेटा-एनालिसिस के मुताबिक दक्षिण एशिया के प्रमुख देशों भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल में CKD का बोझ चौंकाने वाला है. भारत से सटे देश भी इस समस्या से कम पीड़ित नहीं हैं. बांग्लादेश में CKD लगभग 14 प्रतिशत (12 से 17 प्रतिशत के बीच) पाया गया है. यहां के एक्सपर्ट बताते हैं कि अत्यधिक नमक सेवन, प्रदूषित पानी, आर्थिक सीमाएं और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी इस बीमारी को बढ़ावा देती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को लंबे समय तक पता ही नहीं चलता कि किडनी धीरे-धीरे कमजोर हो रही है.

अगर बात पाकिस्तान की करें, तो पाकिस्तान में CKD की प्रचलन दर लगभग 12 प्रतिशत (11 से 14 प्रतिशत) पाई गई है. पाकिस्तान में डायबिटीज का तेजी से बढ़ना, प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन और देर से इलाज शुरू होना स्थिति को और गंभीर बनाता है. स्टडी बताते हैं कि वहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच असमान है और कई मरीज शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं.

नेपाल में सबसे कम मरीज

दक्षिण एशिया में सबसे कम इसका प्रभाव नेपाल में पाया गया. यहां करीब 6 प्रतिशत (6 से 7 प्रतिशत). हालांकि यह संख्या कम दिखाई देती है, लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि नेपाल में स्वास्थ्य जांचों की सीमित उपलब्धता के कारण कई मामले रिपोर्ट ही नहीं होते. नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में मेडिकल सुविधाएं सीमित होने से केस अक्सर देर से पकड़े जाते हैं. साथ ही, बढ़ता ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आने वाले समय में इस संख्या को बढ़ा सकता है.

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article