देश के कई हिस्सों में इस समय प्रदूषण का कहर जारी है। दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के इलाकों में धुंध की घनी चादर छाई हुई है। तेजी से बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों के लिए आफत बनता जा रहा है। जहरीली हवा में सांस लेने की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती है। कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो वहीं कुछ लोग खांस-खांसकर से परेशान हैं। हवा में घुला जहर आपके दिल और फेफड़ों को भी कमजोर बना रहा है। ऐसे में वायु प्रदूषण शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कई तरह से हानिकारक साबित हो रहा है।
इतना ही नहीं लगातार खराब हो रही हवा के कारण सिर्फ आपका शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी काफी प्रभावित होता है। इससे मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है, जिसे आमतौर पर लोग अनदेखा कर देते हैं। बेहद कम लोग ही यह जानते हैं कि प्रदूषण कर सकता है। ऐसे में मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत में मेंटल हेल्थ और बिहेवरियल साइंस के सीनियर डायरेक्टर और प्रमुख डॉ. समीर मल्होत्रा से बातचीत में हमने जाना कि कैसे बढ़ता Air Pollution आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है।
डॉक्टर बताते हैं कि Air Pollution का मेंटल हेल्थ पर गहरा असर पड़ सकता है, जिससे अक्सर कई तरह की साइकोलॉजिकल और कॉग्नेटिव समस्याएं हो सकती हैं। खासकर शहरी क्षेत्रों में लगातार खराब हवा और प्रदूषण के संपर्क में आने से व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके अलावा लगातार सुस्ती और किसी भी काम में ध्यान केंद्रित रखने में कठिनाई होती है।
हवा में मौजूद प्रदूषित पार्टिकल्स ब्रेन की फंक्शनिंग में बाधा डाल सकते हैं, जिससे एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता में खलल पड़ सकता है। साथ ही इसकी वजह से सोने और जागने की नेचुरल स्लीप साइकिल भी बाधित हो सकती है, जिससे अनिद्रा या अनियमित नींद पैटर्न होता है, जो थकान और इमोशनल एक्सजॉशन को बढ़ा सकता है।
वायु प्रदूषण से होने वाले इन प्रभावों को कम करने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते हैं। इसके लिए माइंडफुलनेस प्रैक्टिस, रेगुलर इनडोर एक्सरसाइज और बैलेंस्ड डाइट बनाए रखने जैसी लाइफस्टाइल को अपना सकते हैं। साथ ही इनडोर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल भी फायदेमंद होगा। हाई पॉल्युशन वाले इलाकों में मास्क का उपयोग करने में भी मदद मिल सकती है। इसके अलावा वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए जागरूकता और सक्रिय उपाय भी जरूरी हैं।