छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों के संयुक्त नक्सलवाद-विरोधी अभियान के तहत 210 माओवादी कैडर ने आत्मसमर्पण किया है। यह राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही सबसे बड़ी सफल कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है।
नक्सलवाद-विरोधी अभियान में बड़ी सफलता
पुलिस और CRPF के संयुक्त ऑपरेशन के बाद कई इलाकों में नक्सलियों पर लगातार दबाव बनाया गया था। सुरक्षा बलों की बढ़ती कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास नीति के कारण माओवादी कैडरों ने हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी विभिन्न माओवादी दस्ता और जोनल कमिटी से जुड़े थे।
मुख्यधारा में लौटने वालों के लिए पुनर्वास योजना
राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास योजना के तहत आर्थिक सहायता, नौकरी के अवसर और शिक्षा की सुविधा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह सफलता न केवल सुरक्षा बलों के साहस का परिणाम है, बल्कि उन युवाओं की भी जीत है जिन्होंने हिंसा छोड़कर शांति का मार्ग अपनाया है।”
बस्तर में स्थायी शांति की दिशा में कदम
बस्तर क्षेत्र लंबे समय से नक्सल गतिविधियों से प्रभावित रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सरकार के लगातार प्रयासों से स्थिति में सुधार आया है। सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी विकास योजनाओं ने यहां स्थायी शांति की नींव रखी है। आत्मसमर्पण की यह लहर संकेत देती है कि अब नक्सलवाद का प्रभाव तेजी से घट रहा है।
जनता और प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि अगर ऐसी घटनाएं जारी रहीं तो बस्तर जल्द ही शांति और विकास के नए युग में प्रवेश करेगा। सुरक्षा बलों ने भी आम नागरिकों से अपील की है कि वे संदेहास्पद गतिविधियों की सूचना तुरंत दें और विकास कार्यों में सहयोग करें।