भारत ने NATO मुखिया के बयान को किया खारिज, मोदी–पुतिन कॉल की खबरों को बताया भारत सरकार ने आज NATO महासचिव मार्क रुटे के उस बयान को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ को लेकर फोन पर बातचीत की है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसे “गलत, भ्रामक और पूरी तरह से आधारहीन” बताया।
क्या था मामला?
NATO प्रमुख मार्क रुटे ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से संपर्क कर अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ और रूस की रणनीति पर चर्चा की। इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हलचल मच गई और कई रिपोर्ट्स में इसे भारत–रूस कूटनीति से जोड़कर देखा जाने लगा।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने तुरंत बयान जारी कर स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हाल ही में ऐसी कोई कॉल नहीं हुई।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “यह दावा पूरी तरह से झूठा और निराधार है। भारत की विदेश नीति तथ्यों पर आधारित है, अफवाहों पर नहीं।”
भारत ने यह भी दोहराया कि रूस से तेल खरीदने का फैसला पूरी तरह ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित के आधार पर लिया गया है।
राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व
1. भारत की सख्त विदेश नीति – इस बयान से यह साफ हो गया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की गलतफहमी को बढ़ावा नहीं देगा।
2. रूस के साथ संबंध – भारत लगातार कहता आया है कि रूस उसका ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र का महत्वपूर्ण सहयोगी है।
3. अमेरिका से संतुलन – भारत अमेरिका के साथ भी अपने आर्थिक और सामरिक संबंध मजबूत कर रहा है, लेकिन रूस के साथ संबंधों पर किसी तीसरे पक्ष के बयान को स्वीकार नहीं करता।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि: यह खंडन भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का सबूत है।
भारत रूस से तेल खरीदता रहेगा क्योंकि यह उसके लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है।
NATO की टिप्पणी शायद अमेरिका–रूस टकराव के बीच भारत को खींचने की कोशिश थी।
सोशल मीडिया और विपक्ष की प्रतिक्रिया
ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर #ModiPutin और #NATO हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
कुछ यूज़र्स ने कहा कि यह भारत की मजबूती है कि वह किसी भी गलत आरोप को तुरंत खारिज करता है। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार से संसद में आधिकारिक बयान देने की मांग की है।
आगे की संभावनाएँ
संभावना है कि भारत सरकार आने वाले दिनों में रूस और अमेरिका दोनों के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करके इस मुद्दे को ठंडा करेगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत अपनी छवि को यह संदेश देना चाहता है कि वह किसी भी झूठी सूचना या अफवाह पर चुप नहीं बैठेगा।
निष्कर्ष: NATO प्रमुख का बयान भारत की राजनीति और विदेश नीति पर हलचल मचाने वाला जरूर था, लेकिन भारत सरकार की फौरन और सख्त प्रतिक्रिया ने साफ कर दिया कि उसकी प्राथमिकता राष्ट्रीय हित और कूटनीतिक साख की रक्षा करना है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र और दृढ़ है।
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