बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर NDA दलों में सीट बंटवारे का अंतिम फैसला दिल्ली के नेतृत्व से ही होने की संभावना है। लेकिन चुनाव आयोग की तारीखों की घोषणा का इंतजार किया जा रहा है। एनडीए यह सुनिश्चित करना चाहता है कि टिकट कटने वाले दावेदारों को पाला बदलने का ज्यादा मौका न मिले।
सीट बंटवारे पर अंतिम मुहर
एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है। लेकिन गठबंधन नेतृत्व चाहता है कि अंतिम फैसला चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा के बाद ही किया जाए।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि रणनीति के तहत यह इंतजार इसलिए किया जा रहा है ताकि टिकट के दावेदार दूसरे दलों का रुख न कर सकें। बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 22 नवंबर तक है और तब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जानी है।
पाला बदलने वालों का डर
बीजेपी सूत्रों के अनुसार, कई नेता जो टिकट के दावेदार हैं, अगर उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया या सीट सहयोगी दल को दी गई, तो वे अन्य पार्टियों का दामन थाम सकते हैं। अंतिम समय में घोषणा करने से यह खतरा कम हो जाता है।
एनडीए के छोटे सहयोगी दल भी ज्यादा से ज्यादा सीटें लेने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं।
चिराग पासवान की सीट डिमांड
बिहार एनडीए में बीजेपी और जेडीयू सबसे बड़ी पार्टियां हैं। माना जा रहा है कि दोनों लगभग बराबर (100 के आसपास) सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सबसे ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। चिराग ने एलजेपी (आर) के लिए 40 सीटें मांगी हैं। पिछली लोकसभा चुनाव में पांच में से पांच सीटें जीतने के बाद उनकी पार्टी की अहमियत बढ़ गई है।
30 सीटों पर मिल सकती है सहमति?
जानकारी के अनुसार, नीतीश कुमार की जेडीयू चाहती है कि चिराग की पार्टी को 20 से अधिक सीटें न दी जाए। 2020 में इसी टकराव की वजह से एलजेपी (आर) अकेले 135 सीटों पर लड़ी और केवल एक सीट जीत सकी।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि चिराग अपने कार्यकर्ताओं को जोड़कर रखने के लिए दबाव बनाते दिखना चाहते हैं, लेकिन वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात को अनदेखा नहीं करेंगे। अब संभावना जताई जा रही है कि एलजेपी (आर) को लगभग 30 सीटों पर राजी किया जा सकता है।
अन्य सहयोगी दल
एनडीए में बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी (आर) के अलावा HAM के जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा भी शामिल हैं। हालांकि, सीट बंटवारे की सबसे बड़ी चुनौती चिराग पासवान के दावों को लेकर ही बनी हुई है।
निष्कर्ष:
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का सीट बंटवारा अभी अंतिम चरण में है। दिल्ली नेतृत्व चुनाव आयोग की तारीखों का इंतजार कर रहा है ताकि टिकट कटने वाले नेताओं के पाला बदलने का खतरा कम किया जा सके। चिराग पासवान की सीट डिमांड और सहयोगी दलों के दावों के बीच एनडीए के लिए तालमेल बिठाना बड़ी चुनौती है।
Read Also : हवाई जहाज के टायर में क्यों होता है खाली स्पेस? इसी में बैठ 13 साल का बच्चा काबुल से दिल्ली पहुंचा