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Friday, February 14, 2025

Budget 2025: स्टार्टअप और इन्फ्रा में निवेश से बढ़ेगा रोजगार, क्या बजट में होगा इंतजाम

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1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में सरकार का रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर अधिक जोर रह सकता है। उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि सरकार को रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे, हॉस्पिटैलिटी, स्टार्टअप इकोसिस्टम, एडटेक और MSME क्षेत्र में निवेश और प्रोत्साहन देना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में आम बजट 2025 पेश करेंगी।

आगामी बजट से अपेक्षाओं पर नूरमहल ग्रुप के सीएमडी मनबीर चौधरी ने कहा, ‘भारत में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर रोजगार पैदा में अहम भूमिका निभाता है और अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है। ऐसे में केंद्रीय बजट 2025 उद्योग को बढ़ाने और 2047 तक विकसित भारत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।’ चौधरी ने कहा कि सबसे बड़ी मांग आतिथ्य क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देना है, क्योंकि इस मान्यता से वित्त तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी।

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष आवंटन किया जाना चाहिए, जिससे टियर-2 और टियर-3 शहरों में क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। वहीं, टी9एल क्यूब के संस्थापक गौरव गग्गर ने कहा कि फिलहाल इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चिंता स्टार्टअप है। हालांकि एंजल टैक्स हटाना निवेश प्रवाह को आसान बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदमों में से एक था, लेकिन इस साल इस तरह की और पहल की उम्मीद है।

उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को विदेशी निवेश से जुड़े नियमों को सरल बनाने और ऋण तक पहुंच में सुधार करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट में निरंतर नवाचार के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। एंजल निवेशक एवं कॉम्सक्रेडिबल के फाउंडर अमन ढल्ल का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट में ‘स्टार्टअप इंडिया’ को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए प्रक्रियाओं को आसान बनाकर टैक्स में फायदा देने की भी जरूरत है।

ढल्ल ने कहा, ‘उम्मीद है कि केन्द्रीय बजट 2025-26 में सेक्शन 80-एआईएसी के तहत कर में छूट के प्रावधान में सुधार लाए जाएंगे, क्योंकि इनसे केवल 1 फीसदी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को ही फायदा मिल रहा है। हालांकि 1.6 लाख स्टार्टअप को मान्यता मिली हुई है। इसके बावजूद उन स्टार्टअप की संख्या बेहद कम है, जो इस छूट से लाभान्वित हो रहे हैं। ऐसे में ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ का लेबल सिर्फ एक लेबल बन कर ही रह गया है। जिससे उन्हें कुछ खास फायदे नहीं मिल रहे हैं।’

शिक्षा नीति विशेषज्ञ और सिल्वरलाइन प्रेस्टीज स्कूल के उपाध्यक्ष नमन जैन ने सुझाव दिया कि सरकार को डेटा विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा और एआई जैसे उभरते क्षेत्रों में कौशल की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश में वृद्धि सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश कुशल कर्मचारियों की कमी के कारण बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहा है।

वर्टेक्स ग्लोबल सर्विसेज के संस्थापक और सीईओ तथा भारत-अफ्रीका व्यापार परिषद के व्यापार आयुक्त गगन अरोड़ा ने कहा कि मैंकिजे द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन से संकेत मिलता है कि भारत को अपने महत्वाकांक्षी जीडीपी विकास लक्ष्य सात से आठ प्रतिशत वार्षिक को प्राप्त करने के लिए अपने रोजगार के आंकड़ों में सुधार करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के देश के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार को रोजगार सृजन और कौशल विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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