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Monday, February 10, 2025

2032 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत, विनिर्माण में अमेरिका-चीन को दे सकता है पटखनी

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मुंबई। भारत अगले छह वर्षों में हर 18 महीने में अपने सकल घरेलू उत्पाद में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ने की दिशा में अग्रसर है. इस गति से भारत 2032 तक 10 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करेगा. यह बात का आंकलन आईडीबीआई कैपिटल की रिपोर्ट में लगाया गया है.

आईडीबीआई कैपिटल रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत की त्वरित वृद्धि मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र द्वारा संचालित होगी, जिसका वृद्धिशील सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 32% योगदान करने का अनुमान है. “मेक इन इंडिया” जैसी प्रमुख पहलों से देश की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है.

इसमें भारत के आर्थिक विस्तार की तीव्र गति का भी उल्लेख किया गया है. 1947 से 2010 तक 63 साल लग गए, जब देश ने 2017 तक 2 ट्रिलियन डॉलर और 2020 तक 3 ट्रिलियन डॉलर हासिल कर लिया, जो पिछले दशक में विकास में तेज उछाल को दर्शाता है. हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण 4 ट्रिलियन डॉलर के जीडीपी तक पहुंचने की समयसीमा 2024 के अंत तक बढ़ गई, लेकिन भारत अब आने वाले वर्षों में तेजी से विकास के लिए तैयार है.

2024 और 2032 के बीच, भारत के 10 ट्रिलियन डॉलर के जीडीपी तक पहुंचने का अनुमान है, जो विनिर्माण में मजबूत मांग, मजबूत निर्यात क्षमता और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं जैसी सहायक सरकारी नीतियों से प्रेरित है. इन प्रयासों की बदौलत भारत विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी अमेरिका, चीन, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों को पीछे छोड़ देगा.

रिपोर्ट में भारत की बढ़ती निर्यात क्षमता पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक निर्यात जीडीपी का 25% होगा, जो 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा. यह 2000 में 61 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2024 तक 776.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक की पर्याप्त वृद्धि दर्शाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की विनिर्माण और निर्यात वृद्धि कई प्रमुख कारकों से प्रेरित है: बढ़ती डिस्पोजेबल आय के कारण घरेलू मांग में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखलाओं का वैश्विक पुनर्गठन, महत्वपूर्ण निर्यात क्षमता और एक सहायक वित्तीय वातावरण. इसके साथ ही सार्वजनिक और निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि तथा अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश के साथ, भारत एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने की अच्छी स्थिति में है.

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