कई लोग मानते हैं कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं आईवीएफ तकनीक के जरिए गर्भवती नहीं हो सकती हैं लेकिन आपको बता दें कि यह पूरी तरह से सच नहीं है। जी हां ओएसिस फर्टिलिटी की क्लिनिकल हेड और फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. जिग्ना तमागोंड बताती हैं कि आज डायबिटीज को मैनेज करते हुए कई महिलाएं आईवीएफ के सहारे मां बन रही हैं। आइए जानें कि कैसे।
- डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं आईवीएफ के जरिए एक सफल गर्भधारण कर सकती हैं।
- डायबिटीज मैनेजमेंट और रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट में हुई प्रगति ने इस सपने को साकार किया है।
- आईवीएफ से पहले और इसके दौरान खास देखभाल से प्रेग्नेंसी सफल होने की दर बढ़ जाती है।
डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी की जर्नी अक्सर भ्रम और गलतफहमियों से घिरी होती है। एक आम गलत धारणा यह है कि टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के माध्यम से स्वस्थ गर्भधारण नहीं कर सकती हैं। हालांकि, प्रजनन चिकित्सा में हुए उल्लेखनीय विकास और डायबिटीज मैनेजमेंट के बारे में बढ़ती समझ के साथ, डायबिटीज से पीड़ित कई बहुत-सी महिलाएं अब आईवीएफ के जरिए सफलतापूर्वक गर्भवती हो रही हैं। आइए जानते हैं कि कैसे डायबिटीज मातृत्व के सपने में बाधा नहीं बनता और इससे पीड़ित महिलाएं आईवीएफ के माध्यम से एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिए कैसे तैयार हो सकती हैं।
सबसे आम मिथकों में से एक यह है कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं आईवीएफ के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नहीं होतीं क्योंकि उनके बारे में जोखिम और जटिलताओं की गलत धारणा होती है। डायबिटीज, विशेष रूप से जब कंट्रोल नहीं होता है, तो वास्तव में प्रजनन और गर्भधारण के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, का स्तर हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है, नियमित ओव्यूलेशन को बाधित कर सकता है, और पीरियड्स को अनियमित कर सकता है, जिससे गर्भधारण जटिल हो सकता है। शोध से पता चला है कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को डायबिटीज का निदान होने से पहले भी हार्मोनल प्रभावों के कारण प्रजनन क्षमता में कमी का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा, काबू से बाहर डायबिटीज से गर्भपात और समय से पहले जन्म की संभावना भी बढ़ सकती है।