भारत का नया कदम अंतरिक्ष की ओर भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। देश के पाँचवें चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-5’ के सभी प्री-लॉन्च परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं। अब इस मिशन का प्रक्षेपण दिसंबर 2025 में होने की संभावना है। इस मिशन के साथ भारत फिर से अंतरिक्ष जगत में अपनी तकनीकी क्षमता का लोहा मनवाने जा रहा है।
मिशन का उद्देश्य और नई तकनीक
‘चंद्रयान-5’ का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर गहराई से अध्ययन करना है — वह क्षेत्र जहां अभी तक किसी भी देश ने पूर्ण रूप से अध्ययन नहीं किया है। इस मिशन में ISRO ने कई नई तकनीकों का उपयोग किया है —
- एडवांस्ड लैंडर नेविगेशन सिस्टम
- स्मार्ट ऑटोनॉमस कंट्रोल यूनिट
- उच्च संवेदनशील कैमरे और सोलर पैनल
यह मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद एक कदम आगे बढ़ाएगा और “मेड इन इंडिया” तकनीक को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा।
प्री-लॉन्च टेस्ट में क्या-क्या हुआ?
इसरो के वैज्ञानिकों ने बेंगलुरु, श्रीहरिकोटा और अहमदाबाद स्थित केंद्रों पर इस मिशन से जुड़ी कई तकनीकी जांचें (tests) कीं।
इनमें शामिल हैं:
- रॉकेट इंजन की गर्मी और दबाव की जाँच
- सॉफ्ट-लैंडिंग तकनीक का सिमुलेशन
- रोवर की गतिशीलता और पावर सिस्टम की विश्वसनीयता जांच
परीक्षण सफल रहने के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि अब अंतिम लॉन्च टाइमलाइन दिसंबर के पहले सप्ताह तय की जाएगी।
चंद्रयान-3 से मिली प्रेरणा
चंद्रयान-3 मिशन ने 2023 में भारत को दुनिया का पहला देश बनाया जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की।चंद्रयान-5 उस उपलब्धि को आगे बढ़ाएगा, जिसमें अब उन्नत “मून सब-सर्फेस स्कैनर” और “मिनरल एनालिसिस सेंसर” जोड़े गए हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी, जल और खनिजों की संरचना पर गहराई से जानकारी देगा।
भारत के स्पेस मिशनों की बढ़ती ताकत
ISRO ने पिछले कुछ वर्षों में स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है —
गगनयान मिशन (मानवयुक्त उड़ान) की तैयारी जारी है।
आदित्य-L1 मिशन सूर्य के अध्ययन में बड़ी सफलता साबित हुआ।
और अब चंद्रयान-5 भारत को चंद्रमा पर वैज्ञानिक अनुसंधान की नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की भूमिका
चीन, अमेरिका और जापान जैसे देश भी अपने चंद्र मिशन पर काम कर रहे हैं, लेकिन भारत का लक्ष्य केवल वैज्ञानिक सफलता नहीं, बल्कि कम लागत में अधिकतम उपलब्धि हासिल करना है। इसी वजह से ISRO का हर मिशन दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक मॉडल ऑफ एफिशिएंसी बनता जा रहा है।
आगे की दिशा
ISRO ने कहा है कि अगर सभी अंतिम अनुमोदन समय पर मिल जाते हैं तो ‘चंद्रयान-5’ दिसंबर 2025 के पहले सप्ताह में लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन की सफलता से भारत चंद्रमा की सतह पर स्थायी अध्ययन केंद्र स्थापित करने के एक कदम और करीब पहुँच जाएगा।








