छत्तीसगढ़ भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति, घने जंगल, नदी और झरनों के लिए प्रसिद्ध है। 2025 तक राज्य ने पर्यटन क्षेत्र में काफी तरक्की की है और अब यह न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है। राज्य सरकार के पर्यटन विकास प्रोजेक्ट्स और डिजिटल प्रमोशन ने छत्तीसगढ़ को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया है।
प्राकृतिक धरोहर और एडवेंचर टूरिज्म
छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी पहचान यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और विविध जैविक पर्यावरण है। छत्तीसगढ़ में कोण्डागांव और जगदलपुर जैसे शहरों में चित्रकोट जलप्रपात, भोरमदेव मंदिर और तीरथगढ़ झरना पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। जंगल सफारी, ट्रैकिंग और एडवेंचर टूरिज्म के लिए यहाँ के घने जंगल और संरक्षित क्षेत्र एक बेहतरीन विकल्प प्रस्तुत करते हैं। पर्यटक अब यहां ईको-टूरिज्म और एडवेंचर गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
आदिवासी संस्कृति और लोक जीवन
छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति यहाँ के पर्यटन को और भी खास बनाती है। गोंड, बैर और मुरिया आदिवासी अपनी पारंपरिक नृत्य, संगीत और हस्तशिल्प के माध्यम से पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। राज्य में आयोजित छत्तीसगढ़ लोक महोत्सव और हाट-बाज़ार ने स्थानीय कारीगरों और कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करते हुए पर्यटन के जरिए रोजगार और आर्थिक अवसर भी बढ़ रहे हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल
छत्तीसगढ़ केवल प्राकृतिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है। राजिम, सिरपुर और तीरथगढ़ जैसे स्थल प्राचीन मंदिरों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाने जाते हैं। सरकार ने सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के माध्यम से इन स्थलों को पर्यटकों के लिए और अधिक सुलभ और सुरक्षित बनाया है।
पर्यटन से आर्थिक लाभ और रोजगार
पर्यटन क्षेत्र में विकास से राज्य की आर्थिक गतिविधियों और रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई है। होटल, होमस्टे, रेस्टोरेंट और लोक कला केंद्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से छत्तीसगढ़ अब देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आसानी से उपलब्ध हो गया है। यह न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी समाज को भी आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है।