भारत के लिए GPS आधारित नेविगेशन रूट L639 और P574 जैसे फ्लाइट रूट पर विमानों की रीढ़ हैं जो लंबी दूरी तय करती हैं और ETOPS स्टैंडर्ड पर चलती हैं और सैटेलाइट सटीकता पर निर्भर रहती हैं। अगर GPS जैम होता है या उसकी फ्रीक्वेंसी कमजोर होती है, फिर पायलट को पुराने ग्राउंड-बेस्ड नेविगेशन पर वापस लौटना पड़ता है।
क्या चीन और पाकिस्तान से भारत का रहस्यमय इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध चल रहा है या युद्ध की तैयारी चल रही है? कुछ बातों से इसके संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, भारत ने मुंबई फ्लाइट इन्फॉर्मेशन रीजन (FIR) में जीपीएस हस्तक्षेप को लेकर नोटम जारी किया है, जो अरब सागर तक फैला हुआ है। यानि, इस क्षेत्र में कोई हमारी GPS क्षमता को हैक कर रहा है, उसे जाम कर रहा है यानि उसमें हस्तक्षेप कर रहा है। ये क्षेत्र भारत के सबसे व्यस्त हवाई मार्ग में आता है इसीलिए इस NOTAM को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध शुरू होने के बहुत बड़े संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
आशंका इस बात को लेकर भी बन रही है कि क्या कोई हमारे क्षेत्र में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध के जरिए हमारी क्षमता की जांच कर रहा है? या फिर हम खुद अपनी क्षमता का टेस्ट कर रहे हैं? इससे पहले नई दिल्ली में भी भारत ने ऐसा ही नोटम जारी किया था। जीपीएस संबंधित नोटम का मतलब ये होता है कि इस क्षेत्र से जो हवाई जहाज गुजरेंगे, उनका जीपीएस सिग्नल जाम होगा, वो जीपीएस सिग्नल खो देंगे।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध की दुनिया में प्रवेश
नई दिल्ली के बाद मुंबई में ऐसा होने का मतलब है कि भारत अब इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, यानि विद्युत चुम्बकीय युद्ध की दुनिया में प्रवेश कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऐसा होने का मतलब है कि या तो भारत अपनी सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, शायद भारत ने आधुनिक युद्ध में नये खतरों का पता लगाया है या इस वक्त भी चीन और पाकिस्तान के साथ हमारा किसी तरह के अदृश्य युद्ध चल रहा है, या हम खुद अपनी क्षमता का टेस्ट कर रहे हैं। भारत के जीपीएस हस्तक्षेप नोटम जारी करने का ऐसे ही कुछ मतलब समझ में आते हैं। नवभारत टाइम्स ने इसको लेकर कुछ सुरक्षा एक्सपर्ट्स से बात की है और उन्होंने हमें बताया है कि हवाई युद्ध तेजी से बदल रहा है। अब इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, जामिंग, स्पूफिंग में महारत हासिल करना जरूरी है और जीपीएस हस्तक्षेप नोटम जारी करने का मतलब कुछ ना कुछ जरूर है, जो शायद अदृश्य है।
India issues a NOTAM warning aircraft of GPS interference/loss around air traffic routes within its airspace near Mumbai, this follows reports of similar interreference observed around New Delhi
Valid: 13-17 November 2025 pic.twitter.com/N568cd9zpz
— Damien Symon (@detresfa_) November 13, 2025
दरअसल, अरब सागर से लगे इस विशाल और व्यस्त एयरस्पेस में हर दिन सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय उड़ानें यूरोप, मध्य-पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच गुजरती हैं। जब ऐसे संवेदनशील कॉरिडोर के ऊपर GPS हस्तक्षेप का मतलब सिर्फ एविएशन सिस्टम की समस्या नहीं है, बल्कि यह उस अदृश्य खेल का हिस्सा बन जाता है जिसे आधुनिक सैन्य सिद्धांत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध का शुरुआती चरण मानते हैं। दिल्ली के बाद मुंबई में भी FIR होना, यानि दो अलग-अलग FIR में एक जैसी बाधा किसी संयोग की तरह नहीं लगती, बल्कि यह बताती है कि दक्षिण एशिया के एयर डिफेंस को काफी गहराई से परखा जा रहा है और शायद भारत, युद्ध की नई दुनिया में प्रवेश कर रहा है।
शांति के समय, यानि जब युद्ध का माहौल ना हो, उस वक्त GPS जामिंग युद्धाभ्यास होना दुर्लभ घटना है। भारत की तीनों सेनाओं, पाकिस्तान की नौसेना और चीन की सक्रिय तैनाती के एक साथ अभ्यास के दौरान, इस समय को नजरअंदाज करना असंभव है। यह एक नियमित नोटम से काफी ज्यादा अलग है और यह एक रणनीतिक संकेत है। विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम विवादित हो गया है और इसके प्रभाव अब सीधे नागरिक उड्डयन और राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र प्रबंधन पर पड़ रहे हैं।
चल रहा रहस्यमय अदृश्य युद्ध या युद्ध की तैयारी?
आधुनिक युद्ध-योजना में इलेक्ट्रॉनिक जामिंग, स्पूफिंग और सिग्नल डिग्रेडेशन को संघर्ष की ‘पहली लहर’ माना जाता है। एक ऐसी लहर जो बिना गोली चलाए विरोधी की क्षमता, प्रतिक्रिया-समय और बैकअप नेटवर्क को तहस-नहस कर सकती है। भारत, पाकिस्तान और चीन, तीनों ही देश इस हफ्ते अपने-अपने बड़े सैन्य अभ्यासों, नौसैनिक तैनातियों के दौरान NOTAM जारी कर रहे थे। ऐसे में GPS अस्थिरता का यह पैटर्न दक्षिण एशियाई सुरक्षा को बहुत खतरनाक बनाता है। यानि, एक नई जंग शुरू होने की आशंका है, जिसमें मिसाइलें नहीं, बल्कि सिग्नल फ्रीक्वेंसी से लड़ाई होगी।
भारत के लिए GPS आधारित नेविगेशन रूट L639 और P574 जैसे फ्लाइट रूट पर विमानों की रीढ़ हैं जो लंबी दूरी तय करती हैं और ETOPS स्टैंडर्ड पर चलती हैं और सैटेलाइट सटीकता पर निर्भर रहती हैं। अगर GPS जैम होता है या उसकी फ्रीक्वेंसी कमजोर होती है, फिर पायलट को पुराने ग्राउंड-बेस्ड नेविगेशन पर वापस लौटना पड़ता है। यानि, पुराने जमाने में जिस तरह से फ्लाइट उड़ाया जाता था, उस तकनीक पर लौटना होता है। मुंबई में ऐसा नोटम जारी करने का मतलब है कि मुंबई और अरब सागर के एयरस्पेस से उड़ने वाले विमानों को पुराने जमाने की तकनीक पर लौटना पड़ा होगा।
भारत-पाकिस्तान-चीन के बीच एयरस्पेस में तनाव का संकेत
पिछले कुछ दिनों में कुछ चीजें हो रही हैं, जिनपर ध्यान देना जरूरी है। जैसे-
1– भारत की तीनों सेनाएं पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अभ्यास कर रही हैं।
2- भारतीय वायु सेना लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर तक समानांतर अभ्यास कर रही है।
3- पाकिस्तानी नौसेना ने अरब सागर में कई फायरिंग और प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किए हैं।
4- चीन तिब्बत में उच्च स्तर की तैयारी की स्थिति बनाए हुए है और हिंद महासागर में इलेक्ट्ऱॉनिक वॉरफेयर गतिविधि का विस्तार कर रहा है।
इसीलिए नई दिल्ली के बाद मुंबई में FIR लागू होना और GPS हस्तक्षेप होने से ऐसा लग रहा है कि संघर्ष अब विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश कर गई है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर यह इंटरफेरेंस आया कहां से? संभावनाएं कई हैं। यह भारत की अपनी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) क्षमताओं का टेस्ट हो सकता है, जो बड़े सैन्य अभ्यासों के दौरान सामान्य है। यह पाकिस्तान या चीन की सीमा-पार या समुद्री EW गतिविधियों का विस्तार भी हो सकता है और यह भी संभव है कि अरब सागर में सक्रिय उच्च-शक्ति वाले जहाजों के रडार और जामर अनजाने में भारत के नागरिक एयरस्पेस में हस्तक्षेप कर रहे हों और इसीलिए जीपीएस नोटम जारी किया गया है। स्थिति चाहे कुछ भी हो लेकिन परिणाम एक ही दिशा में इशारा करते हैं। वो ये कि दक्षिण एशिया अब जीवंत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा बन चुका है, जहां हर पक्ष दूसरे की क्षमता टटोल रहा है, सीमाओं का परखा जा रहा हो और भविष्य के संकटों के लिए बिना शोर किए तैयारी की जा रही हो।








