निमोनिया एक प्रकार का इन्फेक्शन है जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। इसमें फेफड़ों में सूजन और फ्लूड भरने लगता है जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इस बीमारी के सही इलाज के लिए जरूरी है कि आपको इसके बारे में सही जानकारी हो। आइए जानते निमोनिया से जुड़े कुछ आम मिथक और उनकी सच्चाई।
- निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक गंभीर इन्फेक्शन है।
- इसमें फेफड़ों में सूजन और फ्लूइड इकट्ठा होने लगता है।
- निमोनिया के इलाज के लिए इसके बारे में सही जानकारी होना जरूरी है।
निमोनिया एक रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है, जो वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के संक्रमण की वजह से होता है। इस बीमारी में फेफड़ों के टिश्यू में सूजन आ जाती है और उनमें पस या फ्लूइड जमा होने लगता है। इसके कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। कई मामलों में निमोनिया जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए इस बीमारी के सही इलाज के लिए इससे जुड़ी सही जानकारी होना जरूरी है। लोगों के बीच निमोनिया से जुड़े कई ऐसे मिथक प्रचलित हैं, जो खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए डॉ. नीरज गुप्ता (मैक्स सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पल्मनरी, रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन के एसोशिएट डायरेक्टर) ने निमोनिया से जुड़े कुछ आम मिथकों का खंडन किया है। आइए जानें उनके बारे में।
यह सच है कि बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन यह इन्फेक्शन किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। चाहे वह बच्चा हो, वयस्क या बुजुर्ग। प्रदूषक तत्वों और इन्फेक्शन की चपेट में आने वाले व्यक्ति को निमोनिया आसानी से हो सकता है। साथ ही, जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या जो पहले से बीमार हैं, उनमें निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, 5 साल से कम उम्र के बच्चे और बुजुर्गों में इसका खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसलिए इनका ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है।