एक नए अध्ययन से पता चला है कि भारत और चीन में वायु प्रदूषण के कारण युवाओं की मौतों में भारी वृद्धि हुई है। बीते पांच सालों के 68 शोधों के आधार पर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर हमने वायु प्रदूषण (AQI Alert) के खिलाफ तुरंत कदम नहीं उठाए तो स्थिति और भी खराब हो सकती है क्योंकि इसमें हमारा बहुत कुछ दांव पर लगा है।
- वायु प्रदूषण के कारण वयस्कों और बच्चों में अस्थमा का खतरा बढ़ गया है।
- भारत-चीन में वायु प्रदूषण के चलते युवाओं की मौतों में इजाफा हुआ है।
- इससे निपटने के लिए विशेषज्ञों ने सख्त कानून बनाने की जरूरत बताई है।
उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे के बीच, एक व्यापक वैश्विक अध्ययन ने अस्थमा से होने वाली मौतों में भारी बढ़ोतरी का खुलासा किया है। 68 अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर, शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम 2.5 जैसे प्रदूषक तत्वों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से अस्थमा के मामलों में वृद्धि हुई है, जिसके कारण विश्व स्तर पर 1.20 लाख अतिरिक्त मौतें हुई हैं। भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में वयस्कों में अस्थमा से होने वाली मौतों की संख्या ज्यादा है। विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए, नीति निर्माताओं को तत्काल प्रभावी नीतियां लागू करनी चाहिए।
शोधार्थियों के मुताबिक साल 2019 में विश्व में अस्थमा के एक तिहाई मामलों की वजह प्रदूषित हवा में मौजूद पार्टीकुलेटेड मैटर 2.5 (पीएम 2.5) के संपर्क में लंबे समय तक रहना था। यह अध्ययन 2019 से 2023 के बीच 22 देशों में किए गए थे जिसमें भारत और चीन के अलावा दक्षिण एशिया के कई देश शामिल हैं। विशेषज्ञों ने निष्कर्षों के आधार पर आगाह करते हुए कहा है कि नीति निर्माताओं को वायु प्रदूषण के प्रभावों से लड़ने के लिए तत्काल सख्त कानून बनाने की जरूरत है।