दिवाली के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुँच गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली का AQI (Air Quality Index) कई इलाकों में 450 से ऊपर दर्ज किया गया, जो “गंभीर श्रेणी (Severe Category)” में आता है।विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों का धुआं, वाहनों का उत्सर्जन, पराली जलाने और ठंडी हवाओं की धीमी गति—इन सभी कारणों का संयुक्त असर दिल्ली की हवा को जहरीला बना रहा है।
प्रदूषण स्तर में भारी उछाल
दिवाली की रात के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर में धुंध और धुएं की मोटी परत छा गई। आनंद विहार, पंजाबी बाग, आईटीओ और द्वारका जैसे क्षेत्रों में AQI 480 तक पहुँच गया। कई स्कूलों ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए ऑनलाइन क्लासेस की घोषणा की है। प्रदूषण के कारण आँखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत जैसी शिकायतें बढ़ गई हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में PM 2.5 और PM 10 कणों की मात्रा सामान्य से 8 गुना अधिक हो गई है।
पटाखे और पराली दोनों बने कारण
भले ही दिल्ली सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन कई जगहों पर नियमों का उल्लंघन हुआ। साथ ही, पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ीं, जिससे प्रदूषण का स्तर और ऊपर गया।मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, ठंडी हवाओं की कमी और कम ऊँचाई पर हवा का रुकना स्मॉग को नीचे रोक रहा है, जिससे हवा साफ नहीं हो पा रही।
स्वास्थ्य पर खतरे की घंटी
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इस समय का प्रदूषण फेफड़ों और हृदय रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है। AIIMS और सफदरजंग अस्पताल में सांस की तकलीफ वाले मरीजों की संख्या 30% तक बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने से बच्चों और बुजुर्गों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार और प्रशासन की कार्रवाई
दिल्ली सरकार ने “ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)” लागू किया है, जिसके तहत: निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक लगाई गई है। सड़क पर पानी का छिड़काव और स्मॉग टावरों का उपयोग बढ़ाया गया है। आवश्यक वाहनों को छोड़कर भारी गाड़ियों की एंट्री पर रोक लगाई गई है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे मास्क पहनें, अनावश्यक यात्रा से बचें और घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।