दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। प्रदूषण स्तर “बेहद ख़राब” श्रेणी में पहुँचने के बाद अब सरकार ने क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) यानी कृत्रिम बारिश का सहारा लिया है। इस तकनीक के ज़रिए हवा में मौजूद जहरीले कणों को बारिश के माध्यम से नीचे गिराने की कोशिश की जा रही है, ताकि राजधानी की हवा में कुछ सुधार हो सके।
क्या है Cloud Seeding?
Cloud Seeding एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें हवा में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायनों को छोड़ा जाता है ताकि बादल बनने और बारिश होने की संभावना बढ़े।
दिल्ली में इसका उद्देश्य है –
- प्रदूषण के स्तर को कम करना
- हवा में मौजूद धूल और स्मॉग को नियंत्रित करना
- अस्थायी रूप से हवा की गुणवत्ता में सुधार लाना
दिल्ली में क्यों ज़रूरी हुआ यह प्रयोग?
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में PM2.5 और PM10 के स्तर में खतरनाक वृद्धि दर्ज की गई है। पटाखों, वाहनों के धुएं, निर्माण कार्यों और खेतों में पराली जलाने के कारण हवा में ज़हरीले कणों की मात्रा बढ़ गई है। इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इसे एक आपात पर्यावरण समाधान (Emergency Measure) के रूप में अपनाने की सिफारिश की।
कैसे किया जा रहा है परीक्षण?
दिल्ली सरकार और IIT कानपुर के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
- प्रयोग का स्थान: दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में
- सहयोग: पर्यावरण मंत्रालय, IMD और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)
- प्रक्रिया: विमान से विशेष रासायनिक मिश्रण बादलों में छोड़ा जाएगा, जिससे बारिश की संभावना बनेगी।
क्या मिलेगा इस परीक्षण से फायदा?
विशेषज्ञों का मानना है कि क्लाउड सीडिंग से हवा में मौजूद PM2.5 कणों की मात्रा 20–30% तक घट सकती है अस्थायी राहत मिलेगी, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है भविष्य में यह तकनीक स्मॉग सीजन में नियमित रूप से इस्तेमाल की जा सकती है
सरकार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा, “हम नागरिकों को साफ हवा देने के लिए हर संभव वैज्ञानिक उपाय अपना रहे हैं। Cloud Seeding का यह परीक्षण हमारे प्रयासों की नई दिशा है।” वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रयोग तभी प्रभावी होगा जब पर्याप्त बादल मौजूद हों और मौसम अनुकूल हो।








