अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 10% का नया टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह फैसला अमेरिका-कनाडा व्यापारिक संबंधों पर बड़ा असर डाल सकता है और दोनों देशों के बीच आर्थिक तनाव को और गहरा कर सकता है।
टैरिफ लागू करने का कारण
ट्रंप ने इस कदम को अमेरिका के “घरेलू उद्योगों की सुरक्षा” के लिए आवश्यक बताया है। उनका कहना है कि विदेशी वस्तुएँ अमेरिकी बाजार में सस्ते दाम पर बिक रही हैं, जिससे स्थानीय कंपनियों और श्रमिकों को नुकसान हो रहा है। इसीलिए उन्होंने आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर अमेरिकी उत्पादकों को प्रोत्साहन देने की नीति अपनाई है। हालांकि, आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला कनाडा के साथ चल रहे मुक्त व्यापार समझौते (USMCA) के सिद्धांतों के विपरीत हो सकता है।
कनाडा की प्रतिक्रिया
कनाडाई सरकार ने ट्रंप के इस कदम पर नाराजगी जताई है। कनाडा के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वे “आवश्यक होने पर” प्रतिशोधात्मक शुल्क (Retaliatory Tariffs) लगाने पर विचार कर रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में ठंडापन बढ़ सकता है। कनाडा अमेरिका के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है — दोनों देशों के बीच हर साल अरबों डॉलर का व्यापार होता है। ऐसे में नया टैरिफ न केवल व्यापारिक रिश्तों को प्रभावित करेगा, बल्कि कीमतों और बाजार स्थिरता पर भी असर डालेगा।
अमेरिकी बाजार पर असर
नया टैरिफ लागू होने से कनाडा से आयात होने वाले स्टील, एल्युमिनियम, ऑटो पार्ट्स और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। कई अमेरिकी उद्योग समूहों ने ट्रंप के फैसले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इससे उत्पादन लागत बढ़ेगी और निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
वैश्विक व्यापार पर संभावित प्रभाव
यह कदम सिर्फ अमेरिका-कनाडा संबंधों तक सीमित नहीं रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वैश्विक स्तर पर व्यापारिक असंतुलन बढ़ सकता है। अन्य देश भी ऐसे टैरिफ उपाय अपनाकर वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को और कठिन बना सकते हैं। ट्रंप पहले भी अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान चीन और यूरोप से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगा चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक व्यापार युद्ध जैसी स्थिति पैदा हुई थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि कनाडा और अमेरिका इस विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाते हैं या आने वाले महीनों में यह मुद्दा एक बड़े व्यापारिक टकराव (Trade Conflict) में बदल जाता है।








