कार्तिक पूर्णिमा एक पवित्र पर्व है. इसे दीपदान का पर्व भी कहते हैं. इस दिन दीपदान से विशेष लाभ होता है. दीप जलाने का धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व शास्त्रों में वर्णित है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को पड़ने वाली है. ऐसे में आज हम आपको इस दिन दीपदान करने का महत्व, इसके पीछे की मान्यताएं क्या हैं?
हिंदू धर्म में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना गया है. इस माह भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष पूजा होती है. इस माह सूर्योदय के पूर्व स्नान करने का भी अपना महत्व है. एक और मान्यता के अनुसार इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था.
मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा आदि पवित्र नदियों में स्नान करके दीपदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पापों से मुक्ति मिलती है. पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सदा शांति बनी रहती है.
आध्यात्मिक शुद्धि: दीपदान से आत्मा की शुद्धि, मन में शांति प्राप्ति होती है. मन की नकारात्मकता दूर होती है.
धन और समृद्धि की प्राप्ति- दीपदान से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. घर में धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होती है. जीवन में खुशहाली आती है.
दीपदान से वातावरण शुद्ध होता है. सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है. स्वास्थ्य बेहतर होता है.
दीपदान से पारिवारिक जीवन में खुश और शांति व्याप्त होती है.सदस्यों में तालमेल बढ़ाता है.
नदी में स्नान करें, अगर संभव नहीं है तो घर के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. दीपदान प्रवाहित जल यानी कि नदियों में करें. तुलसी का पौधे लगाएं. तुलसी के पौधे के पास दीप जलाएं. एक दीया जलाकर भगवान शिव और विष्णु को समर्पित कर, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें. कोशिश करें कि घी के दीप का दीपदान करें. अगर, घर के आस-पास तुलसी के पौधे के अतिरिक्त पीपल या अन्य कोई पवित्र वृक्ष है तो उसके भी नीचे रखें.