इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता के बीच सरकार ने सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बड़ा प्रस्ताव पेश किया है। इसके तहत 2027 से सभी EVs में Acoustic Vehicle Alerting System (AVAS) लगाना अनिवार्य हो सकता है। यह सिस्टम चलते हुए EV से आवाज़ पैदा करेगा ताकि पैदल यात्री और अन्य वाहन चालक उन्हें आसानी से पहचान सकें।
पॉज़िटिव असर: सड़क पर बढ़ेगी सुरक्षा
EVs अक्सर बेहद साइलेंट होते हैं, जिससे कई बार दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। AVAS सिस्टम से गाड़ियां चलते समय पैदल यात्रियों, बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों को सतर्क कर पाएंगी। इससे दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी और सड़क पर विश्वसनीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
नेगेटिव चुनौतियाँ: कंपनियों और उपभोक्ताओं पर बोझ
हालांकि, इस प्रस्ताव से EV निर्माताओं को अतिरिक्त लागत उठानी पड़ेगी। इसका असर सीधे वाहन की कीमतों पर भी पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ग्राहकों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है और EVs की बिक्री थोड़ी धीमी पड़ सकती है।
पर्यावरण और तकनीकी संतुलन
AVAS में प्रयुक्त ध्वनि स्तर को ऐसे डिज़ाइन किया जाएगा कि वह ध्वनि प्रदूषण न बढ़ाए और केवल ज़रूरी अलर्ट ही दे। तकनीकी विशेषज्ञ इसे EVs में ग्रीन मोबिलिटी और सुरक्षित ड्राइविंग के बीच का संतुलन बता रहे हैं।
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भविष्य की तस्वीर
अगर यह नियम लागू होता है तो भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा जहां EV सुरक्षा मानकों को लेकर इतने सख्त और आधुनिक कदम उठाए गए हैं। यह न सिर्फ पॉज़िटिव बदलाव होगा बल्कि भारत को EV सेफ्टी इनोवेशन में अग्रणी भी बनाएगा।
निष्कर्ष :
पॉज़िटिव साइड: यह प्रस्ताव सड़क सुरक्षा और पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज़ से एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
नेगेटिव साइड: कीमतों और तकनीकी लागत के चलते आम उपभोक्ताओं को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।