सनातन धर्म में गुरुवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु के निमित्त गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों से भी मुक्ति मिलती है। गुरुवार का व्रत महिलाएं करती हैं।
ज्योतिष शास्त्र में गुरुवार के दिन विशेष उपाय करने का विधान है। इन उपायों को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। अगर आप भी नौकरी में प्रमोशन पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन पूजा के समय ये उपाय जरूर करें।
उपाय
- अगर आप जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन तुलसी मां की पूजा करें। पूजा के समय तुलसी मां को जल का अर्घ्य देकर तीन बार परिक्रमा करें। तुलसी मां की पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। मां तुलसी की कृपा से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- अगर आप भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन पूजा के समय गाय के कच्चे दूध से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। विष्णु चालीसा का पाठ करने से दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।
- कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन पूजा के बाद पीले रंग की चीजों का दान करें। आप मकई, चने की दाल, बेसन, केला और पीले रंग के कपड़े का दान करें। इन चीजों के दान से गुरु की कृपा व्यक्ति पर बरसती है।
- गुरुवार के दिन केले के पौधे की पूजा अवश्य करें। इसके लिए गुरुवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद पीले रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद जल में एक चुटकी हल्दी मिलाकर केले के पौधे में अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है।
विष्णु मंत्र
1. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
2.मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
3. पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
4. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
5. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
6. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।