भीष्म पितामह के पिता शांतनु सत्यवती की सुंदरता पर मोहित हो गए थे। लेकिन सत्यवती के पिता ने शांतनु से उसके विवाह से पहले यह शर्त रखी थी कि सत्यवती के द्वारा उत्पन्न पुत्र ही आग चलकर राजा बनेगा। ऐसे में शांतनु और सत्यवती के विवाह में कोई अड़चन न आए इसलिए भीष्म द्वारा जीवनभर विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली गई थी।
- ऋषि वेद-व्यास द्वारा लिखी गई थी महाभारत कथा।
- कौरव और पांडव के बीच हुआ था भीषण युद्ध।
- भीष्म पितामह की सौतेली मां थी सत्यवती।
महाभारत में ऐसी कई कथाएं हैं, जो व्यक्ति को चकित कर सकती हैं। आज हम आपको राजा शांतनु की दूसरी पत्नी यानी सत्यवती के जन्म की कथा बताने जा रहे हैं, जो बड़ी ही रोचक है। अधिकतर लोग सत्यवती को मछुआरों के मुखिया दासा की पुत्री के रूप में जानते होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि सत्यवती असल में एक राजा की पुत्री थी।
कथा के अनुसार, एक बार राजा सुधन्वा एक बार वन में शिकार खेलने गए। इसी बीच उनकी पत्नी रजस्वला हो गई और उनके मन में गर्भधारण करने की इच्छा जागृत हुई। तब रानी ने एक पक्षी के द्वारा राजा तक यह संदेश पंहुचाया। राजा ने एक पात्र में अपना वीर्य देकर पक्षी को रानी तक पहुंचाने के लिए कहा। लेकिन इस बीच पक्षी से वह वीर्य नदी में गिर गया। उस नदी में एक मछली ने उस वीर्य को ग्रहण कर लिया, जो असल में एक अप्सरा थी, लेकिन ब्रह्मा जी के श्राप से मछली में परिवर्तित हो गई थी।