विदेश मंत्रालय ने दो दिन पहले 14 अक्टूबर 2024 को अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि सितंबर 2023 में आरोप लगाने के बाद और हमारी तरफ से कई बार आग्रह किये जाने के बावजूद अभी तक कनाडा की तरफ से हमें कोई भी सबूत नहीं दिया गया है। इस बात में कोई शक नहीं है कि जांच की आड़ में राजनीतिक लाभ के लिए भारत की इमेज को खराब करने की जानबूझ कर रणनीति बनाई गई है।

वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से जब कनाडा-भारत के बीच चले रहे कूटनीतिक तनाव के बारे में पूछा गया तो उनका जबाव था कि कनाडा ने जो आरोप लगाये हैं वह बेहद गंभीर हैं। हम यह चाहते हैं कि भारत सरकार इस बारे में पूरी गंभीरता दिखाए और जांच में मदद करे। हालांकि उन्होंने (भारत) ऐसा नहीं किया है। हम दोनों देशों से इस बारे में सहयोग करने की अपील करते हैं।

बताते चलें कि अमेरिका ने भी भारत पर आरोप लगाये हैं कि यहां की एजेंसियों ने खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नु की हत्या की साजिश रची है। इस बारे में अमेरिका ने चेक रिपब्लिक में गिरफ्तार एक भारतीय (निखिल गुप्ता) का प्रवर्तन भी किया है और इस मामले में भारत सरकार ने भी एक जांच समिति गठित की है। अभी भारतीय जांच दल इस बारे में आगे पड़ताल करने के लिए अमेरिका की यात्रा पर है।

ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि कनाडा की तरफ से लगाये गये आरोपों को लेकर हमारी चिंताएं हैं। हम सैद्धांतिक तौर पर सभी देशों की संप्रभुता का आदर करते हैं और यह मानते हैं कि वहां कानून व्यवस्था का आदर होना चाहिए।

इसके पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि हम कनाडा के साथ लगातार संपर्क में है। हम कनाडा की न्यायिक व्यवस्था व कानून का आदर करते हैं। अगला सही कदम यहीं होगा कि भारत भी कनाडा की कानून प्रक्रिया में मदद करे। न्यूजीलैंड की तरफ से भी इसी तरह का बयान जारी किया गया था।