भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार V. Anantha Nageswaran ने कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 में देश की अर्थव्यवस्था लगभग 7% की वृद्धि दर दर्ज कर सकती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मजबूत घरेलू मांग, बुनियादी ढांचे में निवेश और वित्तीय स्थिरता इस वृद्धि के मुख्य कारक होंगे।
आर्थिक वृद्धि पर सरकार का आत्मविश्वास
Nageswaran के अनुसार, भारत की आर्थिक स्थिति वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिर और सुदृढ़ बनी हुई है।
उन्होंने कहा —
“भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू खपत और निवेश पर आधारित है, और यही कारण है कि हमें आने वाले वर्ष में स्थिर वृद्धि देखने को मिलेगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी नीतियाँ, विशेष रूप से ‘मेक इन इंडिया’ और डिजिटल इंडिया 2.0, आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
निवेश और बुनियादी ढाँचा बना ताकत का स्तंभ
हाल के वर्षों में भारत में बुनियादी ढाँचे (Infrastructure) पर बड़े पैमाने पर खर्च किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग, रेल संपर्क, बंदरगाह, और ऊर्जा परियोजनाओं में तेज़ी से निवेश हो रहा है, जिससे रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास में वृद्धि की उम्मीद है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की मंदी के बावजूद भारत की स्थिरता
जब दुनिया के कई विकसित देश मंदी या धीमी वृद्धि से जूझ रहे हैं, भारत ने अपनी मांग-आधारित अर्थव्यवस्था से मजबूत स्थिति बनाए रखी है। Nageswaran का मानना है कि भारत आने वाले वर्षों में भी वैश्विक विकास इंजन की भूमिका निभाएगा।
महंगाई और वित्तीय नीति पर दृष्टिकोण
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया कि महंगाई (Inflation) धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रही है, और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नीतियाँ संतुलित बनी हुई हैं। उन्होंने संकेत दिया कि राजकोषीय अनुशासन (Fiscal Discipline) और राजस्व वृद्धि के चलते सरकार के पास निवेश जारी रखने के पर्याप्त संसाधन हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
डिजिटल इकोनॉमी और स्टार्टअप सेक्टर GDP में बड़ा योगदान देंगे। नवाचार (Innovation) और क्लीन एनर्जी सेक्टर आर्थिक वृद्धि को और गति देंगे। रोजगार और कौशल विकास योजनाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ाएँगी।

 
                                    







