भारत और जापान ने एक बार फिर अपनी रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnership) को और मज़बूत करने का संकल्प दोहराया है। दोनों देशों ने सुरक्षा, रक्षा, और आर्थिक सहयोग के क्षेत्रों में नई योजनाओं की घोषणा की है, जिनका लक्ष्य है — इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना। यह घोषणा भारत-जापान के शीर्ष अधिकारियों की बैठक के बाद की गई, जिसमें रक्षा, विदेश, और आर्थिक मामलों से जुड़े कई वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए।
इंडो-पैसिफिक में साझा भूमिका
बैठक के दौरान दोनों देशों ने माना कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र अब वैश्विक भू-राजनीति का केंद्र बन चुका है। भारत और जापान ने संयुक्त रूप से “फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक” (FOIP) नीति को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है, ताकि समुद्री मार्गों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। “भारत और जापान मिलकर इंडो-पैसिफिक को शांति और समृद्धि का क्षेत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” — भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता
रक्षा सहयोग में नई ऊँचाइयाँ
भारत और जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा तकनीक साझेदारी को विस्तार देने पर सहमति बनी है। दोनों देशों ने यह तय किया है कि आने वाले महीनों में वे:
Maritime Security Drills को बढ़ाएँगे, Cyber Security और AI Defense System पर सहयोग करेंगे, और साझा रक्षा अनुसंधान परियोजनाएँ शुरू करेंगे। इसके अलावा, QUAD देशों (भारत, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) के बीच सहयोग को और मज़बूत करने पर भी चर्चा हुई।
आर्थिक साझेदारी: निवेश और टेक्नोलॉजी पर फोकस
जापान भारत में पहले से ही $35 बिलियन से अधिक का निवेश कर चुका है, और अब दोनों देशों ने 2030 तक इसे $50 बिलियन तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। नए निवेश मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में होंगे:
- ग्रीन एनर्जी और हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स
- हाई-स्पीड रेल नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर
- इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और EV सेक्टर
- स्टार्टअप इनोवेशन और डिजिटल स्किल डेवलपमेंट
जापान ने भारत को “विश्वसनीय साझेदार” बताते हुए कहा कि दोनों देशों के आर्थिक संबंध अब इंडो-पैसिफिक ग्रोथ इंजन बनेंगे।
रणनीतिक और क्षेत्रीय महत्व
भारत और जापान का यह सहयोग केवल आर्थिक या रक्षा तक सीमित नहीं है — यह एशिया में संतुलन और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों का यह गठबंधन चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भी भूमिका निभा सकता है।
तकनीकी और समुद्री नवाचार
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि दोनों देश मिलकर डिजिटल टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, और स्मार्ट पोर्ट डेवलपमेंट पर काम करेंगे। जापान की तकनीकी क्षमता और भारत के युवाओं की स्किल मिलकर क्षेत्र में नए इनोवेशन हब्स तैयार करेंगे।








