भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित संयुक्त नौसैनिक अभ्यास (India-UK Naval Exercise) सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। इस अभ्यास में दोनों देशों के प्रमुख युद्धपोतों और नौसैनिक बलों ने भाग लिया। यूके का प्रमुख एयरक्राफ्ट कैरियर HMS Prince of Wales इस अभ्यास का मुख्य आकर्षण रहा, जो अब गोवा के मर्मुगाओ बंदरगाह पर डॉक कर चुका है।
नौसैनिक अभ्यास का उद्देश्य
इस द्विपक्षीय अभ्यास का मुख्य उद्देश्य था —
- समुद्री सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना
- नौसैनिक संचार और संयुक्त ऑपरेशन्स को मजबूत करना
- हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाई देना
भारतीय नौसेना के अनुसार, यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और तकनीकी समन्वय को बढ़ावा देगा।
भारत की ओर से प्रमुख भागीदारी
भारतीय नौसेना की ओर से INS Chennai, INS Kolkata, और P-8I Maritime Patrol Aircraft ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया। इन जहाजों ने आधुनिक हथियार प्रणाली, वायु रक्षा और समुद्री निगरानी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, भारतीय पायलटों और नौसैनिक इंजीनियरों ने ब्रिटिश नौसेना के साथ जॉइंट ड्रिल्स और ऑपरेशनल ट्रेनिंग भी की।
यूके की ओर से HMS Prince of Wales रहा केंद्र में
यूके की नौसेना का अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर HMS Prince of Wales अभ्यास में शामिल होकर सभी का ध्यान आकर्षित कर गया। इस पोत पर आधुनिक फाइटर जेट्स, ड्रोन और रडार सिस्टम लगे हुए हैं यह यूके की नौसैनिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है और पहली बार भारत के पश्चिमी तट पर डॉक किया गया है।
रणनीतिक महत्व और भविष्य की दिशा
भारत-यूके नौसैनिक अभ्यास सिर्फ सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिंद महासागर क्षेत्र में स्वतंत्र नौवहन (Freedom of Navigation) को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे दोनों देशों के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी और भी मजबूत होगी।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस अभ्यास से भारत को आधुनिक नौसैनिक तकनीक और सामरिक रणनीतियों को समझने में मदद मिलेगी, जबकि ब्रिटेन को भारत के भौगोलिक और समुद्री अनुभव से लाभ होगा।
अधिकारियों के बयान
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने कहा —
“यह अभ्यास भारत-यूके रक्षा सहयोग को एक नए युग में ले जाएगा। दोनों देशों की नौसेनाएं अब पहले से कहीं अधिक समन्वय और तकनीकी तालमेल में काम कर रही हैं।” वहीं, ब्रिटिश नौसेना के कमांडर ने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक मुख्य साझेदार है और भविष्य में भी ऐसे सहयोग जारी रहेंगे।