भारत ने हाल ही में न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) 2025 में ग्लोबल साउथ देशों के हितों की जोरदार वकालत की। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ने वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मंच पर विकासशील देशों के मुद्दों को प्रमुखता देने की कोशिश की।
ग्लोबल साउथ पर जोर
भारत ने कहा कि विकासशील देशों को वित्तीय सहायता, तकनीकी सहयोग और व्यापार में समान अवसर मिलना चाहिए। इसके अलावा, क्लाइमेट चेंज, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में ग्लोबल साउथ को सशक्त बनाने पर भी ध्यान दिया गया। भारत ने यह भी जोर दिया कि वैश्विक नीतियों में इन देशों की अधिकारिता और भागीदारी बढ़नी चाहिए।
ट्रंप रणनीति और राजनीतिक निहितार्थ
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मंच पर भारत की सक्रिय भूमिका के पीछे वैश्विक राजनैतिक रणनीति भी छिपी हुई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के असर और उनके दावों को देखते हुए भारत ने ग्लोबल साउथ देशों के साथ संबंध मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इससे वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति और भी मजबूत होगी और अमेरिका के कुछ पुराने नीति रुखों का संतुलन स्थापित होगा।
वैश्विक प्रतिक्रिया
विश्व राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत की यह पहल वैश्विक मंच पर उसकी प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए अहम है। ग्लोबल साउथ देशों के नेताओं ने भी भारत की वकालत को सकारात्मक रूप में लिया और कहा कि इससे विकासशील देशों को अपने हितों की सुरक्षा में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
भारत की यूएनजीए 2025 में ग्लोबल साउथ की वकालत सिर्फ कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीति और राजनीतिक संतुलन का भी हिस्सा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की छवि मजबूत होगी और वैश्विक मंच पर विकासशील देशों की आवाज को सशक्त किया जा सकेगा।