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Thursday, October 23, 2025

India-US व्यापारिक तनाव 2025: बढ़ते मतभेदों के बीच सहयोग की नई चुनौतियाँ

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2025 में India और US के बीच व्यापारिक मतभेद एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे टैरिफ विवाद, टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट प्रतिबंध और बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर मतभेद और गहरे हो गए हैं। हालांकि दोनों देश एक-दूसरे के लिए रणनीतिक साझेदार हैं, लेकिन हालिया आर्थिक नीतियों ने इस रिश्ते को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

टैरिफ और आयात शुल्क पर विवाद

अमेरिका ने हाल ही में भारत से आने वाले स्टील और फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का संकेत दिया है। वहीं, भारत ने भी जवाबी कार्रवाई के रूप में कृषि और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने की योजना बनाई है। इन कदमों से द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ सकता है, जो फिलहाल लगभग $190 बिलियन डॉलर के स्तर पर है।

टेक्नोलॉजी सेक्टर में बढ़ती दूरी

अमेरिका ने भारत के कुछ टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स और चिप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। वहीं, भारत का कहना है कि यह कदम उसके डिजिटल आत्मनिर्भरता मिशन (Digital India Initiative) को रोकने की कोशिश है। AI, सेमीकंडक्टर और डेटा लोकलाइजेशन नीतियों पर दोनों देशों में मतभेद गहराते जा रहे हैं।

कृषि निर्यात पर भी खिंचाव

भारत के मसाले, चाय और चावल के निर्यात पर अमेरिका ने नॉन-टैरिफ बैरियर लगाए हैं, जिससे भारतीय किसानों को नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह स्थिति बनी रही तो भारत का कृषि निर्यात 10% तक घट सकता है।भारत सरकार अब इस मुद्दे को WTO (विश्व व्यापार संगठन) में उठाने की तैयारी कर रही है।

राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी

दोनों देशों के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच उच्च स्तरीय वार्ताएं चल रही हैं। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, लक्ष्य है कि 2026 तक व्यापार संतुलन को पुनः स्थिर किया जाए। अमेरिका भी मानता है कि भारत के साथ मजबूत आर्थिक संबंध एशिया में उसके रणनीतिक हितों के लिए आवश्यक हैं।

विशेषज्ञों की राय

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह तनाव अस्थायी है, लेकिन दोनों देशों को एक-दूसरे की प्राथमिकताओं को समझना होगा। भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और दोनों की आर्थिक साझेदारी से वैश्विक सप्लाई चेन को स्थिरता मिलती है। AI, क्लीन एनर्जी और डिफेंस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में सहयोग जारी रहने की संभावना है।

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