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Friday, March 14, 2025

MahaKumbh 2025: कुम्भ में एक डुबकी मोक्ष की, 84 लाख योनियों से मुक्ति, तीर्थराज प्रयागराज की यही है अद्भुत महिमा

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तीर्थराज प्रयाग को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रदाता कहा गया है। हिन्दु संस्कृति में बार-बार जन्म लेकर मर जाने से यानि जन्म और मरण के अनवरत चक्र से मुक्ति के लिए मोक्ष की संकल्पना की गई है। मान्यताओं के अनुसार कुम्भ कल्पवास के दौरान दान-पुण्य कर्म एकत्रित कर व्यक्ति चौरासी लाख योनियों के आवागमन चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है, जिससे जन्म-मरण की वेदना समाप्त हो जाती है।

आगामी जनवरी 2025 में प्रयागराज में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुम्भ के रूप में आयोजित होगा जिसमें देश-विदेश से करोड़ों भक्तों का आगमन, गंगा, यमुना, अदृश्य सरस्वती का संगम स्नान, कल्पवास होगा। नदियों के साथ-साथ यहां ज्ञान की त्रिवेणी अनवरत प्रवाहित होती है।

सदियों से महाकुम्भ के दौरान प्रयागराज की भूधरा पर ज्ञान-विज्ञान, अध्यात्म-ज्योतिष आदि प्राच्य विद्याओं की चर्चा, गोष्ठियां, प्रवचन, भारतीय संस्कृति को पल्लवित करती आई है।अनादिकाल से प्रयागराज ज्ञान और भक्ति का सर्वश्रेष्ठ स्थान रहा है। प्रयाग में त्रिवेणी के तट पर केवल गंगा, यमुना तथा अदृश्य सरस्वती का संगम ही नहीं अपितु अनेकानेक सम्प्रदायों, संस्कृतियों एवं ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का भी अद्भुत संगम विद्यमान है।

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