हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी कई पौराणिक कथाएं मिलती है, जो व्यक्ति को प्रेरित करने के साथ-साथ हैरत में भी डाल देती हैं। आज हम आपको भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी से जुड़ी एक ऐसी ही कथा बताने जा रहे हैं। जिसके अनुसार, भगवान विष्णु की शर्त भूलने के कारण धन की देवी लक्ष्मी को एक गरीब कन्या का रूप धारण करना पड़ा था। चलिए जानते हैं वह कथा। कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु धरती पर भ्रमण के लिए निकल रहे थे।
तभी देवी लक्ष्मी ने भी उनके साथ जाने की इच्छा जताई। लेकिन प्रभु श्रीहरि ने लक्ष्मी जी के सामने यह शर्त रखी कि पृथ्वी पर चाहे कैसी भी परिस्थिति आए, उन्हें उत्तर दिशा की ओर नहीं देखना है। इस शर्त को मानते हुए लक्ष्मी जी भी श्रीहरि के साथ चल पड़ीं। जब माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु धरती पर भ्रमण कर रहे थे, तभी देवी की नजर उत्तर दिशा में स्थित एक बगीचे पर पड़ी। वहीं इतनी हरियाली थी कि लक्ष्मी जी खुद को उसकी ओर जाने से रोक नहीं पाईं। वह बगीचे से एक फूल तोड़कर भगवान विष्णु जी के पास आ गईं।
लक्ष्मी जी को देखकर विष्णु जी उदास होकर बोले कि बिना पूछे किसी की वस्तु को लेना अपराध होता है। यह बात सुनकर मां लक्ष्मी को वह शर्त याद आ गई, जो भ्रमण पर निकलने से पहले विष्णु जी ने देवी लक्ष्मी के सामने रखी थी। देवी लक्ष्मी ने अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने विष्णु जी से क्षमा याचना की। इसपर श्री हरि कहते हैं कि आपको केवल बगीचे का माली ही माफ कर सकता है। इसके लिए आपको माली के घर तीन वर्षों तक रहकर उसकी सहायता करनी होगी।
यह सुनते ही लक्ष्मी जी ने एक गरीब कन्या का रूप धारण किया और माधव नामक माली के घर चली गईं। तीन वर्ष पूरे होने के बाद जब माली को यह पता चला कि वह कन्या कोई और नहीं स्वयं देवी लक्ष्मी थी, तो वह रोने लगा। उसने देवी लक्ष्मी से माफी मांगी। तब लक्ष्मी जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। माली ने लक्ष्मी जी को अपने परिवार के सदस्य की तरह रखा था, इसलिए लक्ष्मी जी ने उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया और विष्णु लोक लौट गईं।