भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। Microsoft, Amazon, Google और Oracle जैसी वैश्विक टेक कंपनियों ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश की घोषणा की है। यह ऐलान हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित “Hi-Tech Handshake Summit 2025” के बाद किया गया, जो भारत सरकार और निजी टेक उद्योगों के बीच टेक्नोलॉजी साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारत बनेगा ग्लोबल टेक हब
इस शिखर सम्मेलन में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि देश अब “Make in India to Create for the World” की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत सरकार ने बताया कि अगले पाँच वर्षों में $25 बिलियन से अधिक का विदेशी टेक निवेश देश में आने की संभावना है। इन निवेशों का फोकस क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा सेंटर, साइबर सुरक्षा, और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों पर होगा। Microsoft के सीईओ Satya Nadella ने कहा, “भारत के पास डेटा और टैलेंट दोनों हैं। आने वाले दशक में भारत एआई, क्लाउड और डिजिटल इकोसिस्टम का वैश्विक नेतृत्व करेगा।”
“Hi-Tech Handshake”: भारत और टेक दिग्गजों की साझेदारी
“Hi-Tech Handshake” पहल को भारत सरकार, NASSCOM, और कई अंतरराष्ट्रीय टेक संस्थाओं ने मिलकर शुरू किया है। इसका उद्देश्य भारत को एक विश्वसनीय डिजिटल साझेदार (Trusted Tech Partner) बनाना है। इस कार्यक्रम के तहत भारत में नई डेटा सेंटर चेन, ग्रीन क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और AI प्रशिक्षण हब स्थापित किए जाएंगे। Amazon Web Services (AWS) ने घोषणा की है कि वह हैदराबाद और पुणे में दो नए डेटा सेंटर बनाएगा, जिससे लगभग 50,000 रोजगार अवसर पैदा होंगे। वहीं, Google ने कहा कि वह भारत में AI-सक्षम शिक्षा और हेल्थ प्रोजेक्ट्स में निवेश करेगा।
निवेश से होंगे कई फायदे
भारत में हो रहे इस निवेश से न केवल रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी, बल्कि देश की डिजिटल स्वावलंबन नीति (Digital Atmanirbharta) को भी बल मिलेगा। सरकार का मानना है कि यह निवेश भारत को क्लाउड सर्विस निर्यातक और टेक इनोवेशन हब दोनों बनाएगा। इस साझेदारी के माध्यम से टेक कंपनियाँ भारत के ग्रामीण इलाकों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी, ई-गवर्नेंस, और एआई-आधारित कृषि समाधान को बढ़ावा देने पर काम करेंगी।
भारत की टेक नीति को मिला वैश्विक समर्थन
“Hi-Tech Handshake” के दौरान अमेरिका, जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के प्रतिनिधियों ने भी भारत की टेक्नोलॉजी नीति और नियामक ढांचे की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत की डेटा सुरक्षा कानून (Digital Personal Data Protection Act 2023) ने विदेशी निवेशकों को भरोसा दिलाया है कि उनका डेटा सुरक्षित रहेगा। टेक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अब केवल टेक उपभोक्ता देश नहीं, बल्कि टेक उत्पादक राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। देश के युवा इंजीनियरों, स्टार्टअप्स और डिजिटल स्किल प्रोग्राम्स ने इस बदलाव को संभव बनाया है।
भारत के लिए नया टेक युग
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में वर्तमान में 7.5 लाख से अधिक क्लाउड इंजीनियर, 3 लाख डेटा एनालिस्ट, और 2 लाख एआई डेवलपर्स सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। निवेश के बाद यह संख्या अगले दो वर्षों में 1.5 गुना बढ़ सकती है। इसके साथ ही भारत अब 5G-6G नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, और रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में भी अग्रणी बनने की दिशा में अग्रसर है। “Hi-Tech Handshake” पहल को भारत के डिजिटल भविष्य का ब्लूप्रिंट कहा जा रहा है। जहाँ एक ओर सरकार इसे ‘टेक्नोलॉजी के माध्यम से विकास’ की दिशा में मील का पत्थर मान रही है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक निवेशक इसे अगले दशक के सबसे लाभकारी बाजार के रूप में देख रहे हैं। भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक डिजिटल इकोनॉमी का आकार $2 ट्रिलियन तक पहुँचे और देश दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ता टेक हब बन जाए।

 
                                    







