भारत ने हाल ही में ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की शुरुआत कर दी है, जिसे देश की रणनीतिक सुरक्षा का गेम-चेंजर माना जा रहा है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य है – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के उपग्रहों और देशभर में फैले न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को किसी भी तरह के साइबर, ड्रोन या मिसाइल हमलों से बचाना। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट भारत के दुश्मनों के लिए काल साबित होगा, क्योंकि इसकी मदद से देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं को ‘मल्टी-लेयर सिक्योरिटी शील्ड’ मिलेगी।
क्यों जरूरी है मिशन सुदर्शन चक्र?
पिछले कुछ वर्षों में भारत की टेक्नोलॉजी और न्यूक्लियर क्षमता में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ISRO ने न सिर्फ चंद्रयान और आदित्य L1 जैसी मिशन पूरे किए, बल्कि अब गगनयान जैसे मानवीय स्पेस मिशन पर भी काम कर रहा है। इसी बीच देश में कई न्यूक्लियर पावर प्लांट्स सक्रिय हैं, जो भारत की ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा पूरा कर रहे हैं।
ऐसे हालात में इन दोनों सेक्टर्स की सुरक्षा बेहद अहम है। दुनिया में कई बार देखा गया है कि साइबर अटैक या ड्रोन हमलों के जरिए दुश्मन देश संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाते हैं। इसलिए भारत ने तय किया कि अब सिर्फ पारंपरिक सुरक्षा नहीं, बल्कि एडवांस टेक्नोलॉजी-बेस्ड डिफेंस सिस्टम की जरूरत है। यहीं से जन्म हुआ मिशन ‘सुदर्शन चक्र’ का।
क्या है मिशन सुदर्शन चक्र?
‘सुदर्शन चक्र’ मूल रूप से एक इंटीग्रेटेड डिफेंस प्रोजेक्ट है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस टेक्नोलॉजी, सैटेलाइट सर्विलांस और एंटी-ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल होगा।
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मल्टी-लेयर सिक्योरिटी – न्यूक्लियर पावर प्लांट्स और ISRO के केंद्रों के ऊपर कई लेयर की इलेक्ट्रॉनिक शील्ड लगाई जाएगी।
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एंटी-ड्रोन डिफेंस – अगर कोई दुश्मन ड्रोन नजदीक आता है, तो सिस्टम उसे तुरंत पहचान कर हवा में ही खत्म कर देगा।
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सैटेलाइट सर्विलांस – ISRO के उपग्रह लगातार निगरानी रखेंगे कि कोई संदिग्ध गतिविधि हो रही है या नहीं।
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साइबर सिक्योरिटी शील्ड – किसी भी तरह के हैकिंग या साइबर अटैक को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड फायरवॉल तैयार होगा।
दुश्मनों के लिए क्यों बनेगा काल?
विशेषज्ञ कहते हैं कि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की नजर हमेशा भारत के वैज्ञानिक और न्यूक्लियर ठिकानों पर रहती है। अब तक वे सीमाओं पर तनाव या साइबर अटैक के जरिए दबाव बनाने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन मिशन सुदर्शन चक्र लॉन्च होने के बाद उनकी हर चाल नाकाम होगी।
यह प्रोजेक्ट इतना एडवांस है कि –
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मिसाइल डिटेक्शन सिस्टम सेकंडों में अलर्ट कर देगा।
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ड्रोन वारफेयर टेक्नोलॉजी को पूरी तरह विफल करेगा।
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साइबर हमले के किसी भी पैटर्न को AI तुरंत पकड़ लेगा।
यानि दुश्मन चाहे जमीन से हमला करे या आसमान से, भारत की सुरक्षा दीवार अब अभेद्य होगी।
सरकार की रणनीति और सहयोग
रक्षा मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़’ बताया है। इसमें DRDO (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन), ISRO और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) मिलकर काम कर रहे हैं। सरकार चाहती है कि आने वाले 5 सालों में यह मिशन पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाए।
साथ ही, देश में बने स्टार्टअप्स और प्राइवेट कंपनियों को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि ‘मेड इन इंडिया टेक्नोलॉजी’ का इस्तेमाल बढ़ेगा और विदेशी हथियारों पर निर्भरता घटेगी।
भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी
मिशन सुदर्शन चक्र केवल सुरक्षा बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी मजबूती देगा। अमेरिका, रूस और चीन जैसे बड़े देश पहले से इस तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। अब भारत भी इस लिस्ट में शामिल होकर दुनिया को संदेश देगा कि –
“भारत न सिर्फ रक्षा के लिए तैयार है, बल्कि वह अपने वैज्ञानिक और ऊर्जा संसाधनों की हर कीमत पर रक्षा करेगा।”
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