नई दिल्ली। भारत के प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) की वसीयत खुलने के बाद एक ऐसा नाम सामने आया है, जिसने पूरे टाटा परिवार को चौंका दिया है। इस वसीयत में मोहिनी मोहन दत्ता (Mohini Mohan Datta) नाम के एक व्यक्ति को 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इस खुलासे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि मोहिनी मोहन दत्ता आखिर कौन हैं? और उन्हें इतनी बड़ी रकम क्यों सौंपी गई?
कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहिनी मोहन दत्ता जमशेदपुर के एक गुमनाम कारोबारी हैं, जो दशकों से लो प्रोफाइल जीवन जी रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, मोहिनी मोहन दत्ता और रतन टाटा की पहली मुलाकात 1960 के दशक की शुरुआत में जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में हुई थी। उस समय रतन टाटा महज 24 साल के थे और अपने परिवार के विशाल औद्योगिक साम्राज्य में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान दत्ता से हुई मुलाकात उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
क्या हैं दत्ता और रतन टाटा के रिश्ते?
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि मोहिनी मोहन दत्ता सिर्फ एक कारोबारी सहयोगी नहीं थे, बल्कि वे रतन टाटा को अपना पिता समान मानते थे। कुछ लोग उन्हें रतन टाटा का दत्तक पुत्र भी बता रहे हैं। हालांकि, वसीयत और उसके साथ दिए गए कोडसिल में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की और न ही कानूनी रूप से किसी को गोद लिया।