कोटद्वार: नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य बारह किलोमीटर की दूरी पर स्थित दुर्गा देवी मंदिर की नींव मां के एक मुस्लिम भक्त ने रखी थी।
मंदिर की गुफा में आज भी माता की अखंड जोत प्रज्ज्वलित होती रहती है। मंदिर में मां की शक्ति रूप की पूजा होती है। शायद ही कोई दिन ऐसा हो, जब मंदिर में भक्त न पहुंचते हों। नवरात्रों के पर्व पर मंदिर में माता के भक्तों की भारी भीड़ जुटती है।
महात्म्य
- खोह नदी के किनारे स्थित चट्टान में बनी एक गुफा में मां दुर्गा वास करती हैं।
- बताते हैं कि अंग्रेजों के शासनकाल में वर्ष 1917 में कोटद्वार से दुगड्डा के मध्य मोटर मार्ग निर्माण का कार्य शुरू हुआ।
- मोटर मार्ग निर्माण का जिम्मा अंग्रेजों की खच्चर कोर के ठेकेदार शफीकउल्ला खान को सौंपा गया।
- मार्ग निर्माण के दौरान दुगड्डा से करीब तीन किमी. पहले एक स्थान पर सड़क निर्माण कार्य में बाधाएं आने लगी।
- स्थिति यह हो गई कि जैसे ही सड़क पर निर्माण कार्य शुरू होता, कोई न कोई बाधाएं उत्पन्न हो जाती।
- लगातार हो रही बाधाओं के कारण सड़क निर्माण कार्य रुक गया।
- तब शफीकउल्ला खां को स्थानीय नागरिकों ने बताया कि इस स्थान पर एक गुफा में देवी का वास है व देवी को प्रसन्न किए बिना कार्य सफल नहीं हो सकता।
- जिसके बाद शफीकउल्ला ने वहां एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया।
- साथ ही प्रसाद स्वरूप भंडारा भी आयोजित किया गया।
- इसके बाद सड़क निर्माण कार्य निर्विघ्न संपन्न हो गया।